BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नाबालिग से यौन उत्पीड़न के आरोपियों की अपील को खारिज कर दिया है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की बेंच में हुई। कोर्ट ने न सिर्फ याचिका को खारिज किया बल्कि ट्रायल कोर्ट के फैसले को भी कायम रखते हुए 20 साल कैद की सजा को जारी रखने आदेश दिया।
बता दें, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में नाबालिग से दुष्कर्म करने वाले आरोपियों की सजा का बरकरार रखा है। मामला रामानुजगंज थाने की है। जहां पर नाबालिग के पिता ने 29 अगस्त 2020 को शिकायत दर्ज कराई कि उसकी 14 वर्ष की बेटी 27 अगस्त की रात 11 बजे से लापता है।
उसे ढूंढा गया बाद में 28 तारीख को पता चला कि उसे आरोपी लालबाबू और अन्य व्यक्ति के साथ मोटर सायकल पर तातापानी से बलरामपुर जाते हुए देखा गया है, तब पीड़िता के भाईयों ने पीछा किया। यह देखकर लालबाबू नाबालिग को वाहन से नीचे उतारकर अंबिकापुर की ओर भाग निकला।
इसके बाद पीड़िता ने घर आकर बताया कि जंगल में आरोपी ने उससे अनाचार किया है। इस मामले में पाक्सो एक्ट की धारा 4(2) और 376(3) के तहत जुर्म दर्ज किया गया। ट्रायल कोर्ट ने सुनवाई के बाद सजा सुनाई। इससे बचने आरोपी ने हाईकोर्ट ने क्रिमिनल अपील की।
कोर्ट में मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अपीलकर्ता ने यौन उत्पीड़न किया है अभियोक्ता की उम्र 16 वर्ष से कम है। ट्रायल कोर्ट ने निष्कर्ष पर पहुंचने में कोई कानूनी या तथ्यात्मक त्रुटि नहीं की है। अपील गुणहीन होने के कारण खारिज की जाती है। साथ ही ट्रायल कोर्ट ने जो सजा सुनाई है उसे ही यथावत रखने कहा।