BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 168 सहायक प्राध्यापकों के ग्रेड-पे को लेकर फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि सहायक प्राध्यापकों के ग्रेड-पे के अनुदान के लिए एक माह के भीतर कमेटी बनाकर तीन माह के भीतर वेतनमाह के भुगतान करने को राज्य शासन को दिया है। हाईकोर्ट से इस आदेश के बाद याचिकाकर्ता सहायक प्राध्यापकों को राहत मिली है। मामले की सुनवाई जस्टिस नरेन्द्र कुमार व्यास की सिंगल बेंच में हुई।
बता दें, छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की ओर से 878 सहायक प्राध्यापको की भर्ती के लिए 20 मई 2009 को आवेदन आमंत्रित किया गया था। लिखित परीक्षा एवं साक्षात्कार के बाद योग्य एवं चयनित सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति प्रदेश के विभिन्न कॉलेजों में की गई थी।
चयन के समय छत्तीसगढ़ शासन के 30 मार्च 2010 के आदेशानुसार सहायक प्राध्यापकों के लिए ग्रेड-पे का प्रावधान किया गया था। इसके अंतर्गत नियमित सेवा के 4 साल बाद पीएचडी उपाधि धारकों को सात हजार ग्रेड-पे देने का उल्लेख किया गया हैं। वहीं एम फिल उपाधिक धारकों के लिए उक्त अवधि पांच वर्ष एवं अन्य के लिए छह वर्ष रखी गई है।
लेकिन उच्च शिक्षा विभाग यूजीसी के नियमों को दरकिनार कर जिन सहायक प्राध्यापको को 2016 में वरिष्ठ वेतनमान, 2021 में प्रवर वेतनमान और 2024 में नौ हजार ग्रेड-पे देना था। लेकिन आठ साल बाद भी किसी भी पात्र सहायक प्राध्यापकों को वरिष्ठ एवं प्रवर श्रेणी वेतनमान से वंचित रखा है। इसके कारण प्रमोशन से लेकर कई तरह की समस्याएं आ रही है।
तीन माह में कमेटी बनाकर देना होग ग्रेड पे
हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के सचिव को आदेशित किया कि याचिकाकर्ताओं के मामले में यदि समिति का गठन नहीं किया गया है तो एक माह के भीतर कमेटी बनाएं। यह कमेटी ग्रेड-पे के लिए व्यक्तिगत रूप से याचिकाकर्ताओं की पात्रता मानदंड का पता लगाएगा। यदि याचिकाकर्ताओं का सेवाकाल और शैक्षणिक अहर्ता ग्रेड-पे के अनुदान के लिए पात्र पाए जाते हैं तो उन्हें तय तारीख से भुगतान किया जाएगा।