BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्थानांतरण की नीति जारी कर दी है। इसमें न्यायिक अधिकारियों के स्थानांतरण से संबंधित नियम को विस्तार से बताया है। कोर्ट ने नीति बनाने के साथ ही इसे तत्काल प्रभाव से लागू भी कर दिया है। इसमें प्रतिनियुक्ति वाले न्यायिक अधिकारी को 3 साल पूरा करने के बाद मूल विभाग में वापस आने और दोबारा प्रतिनियुक्ति नहीं देने के विषय में कहा है। इतना ही नहीं स्थानांतरण की लिस्ट मार्च में जारी करने व अप्रेल तक पद ग्रहण कर लेने की बात भी इस नीति में है।
बता दें, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्थानांतरण नीति बनाने के साथ ही इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया है। उन न्यायिक अधिकारियों को राहत दी गई है जिनके पति या पत्नी, बच्चा या माता-पिता या कोई अन्य प्रथम श्रेणी का रिश्तेदार कैंसर, किडनी फेल्यर जैसी लाइलाज बीमारियों से पीड़ित हैं। जिसे डायलिसिस की आवश्यकता होती है या जिनकी हाल ही में ओपन हार्ट सर्जरी हुई है।
ऐसे अधिकारी को उस स्थान पर पदस्थापना की प्राथमिकता दी जा सकती है जहां उसके निकट इन बीमारियों के लिए उचित उपचार सुविधाएं उपलब्ध है। इसके लिए संबंधित जिला न्यायाधीश द्वार प्रमाणित करने के बाद इस पर विचार किया जाएगा। किसी स्थान पर पदस्थापा का सामान्य कार्यकाल तीन वर्ष होगा। यह नियम व शर्त प्रधान जिला न्यायाधिशों के लिए लागू नहीं होगा।
यह भी स्पष्ट किया गया है कि एक न्यायिक अधिकारी का एक स्थान पर पदस्थापना के सामान्य कार्यकाल के बाद उसे उसके पदस्थापना स्थान से स्थानांतरित कर दिया जाएगा और उसकी अगली पोस्टिंग एक अलग श्रेणी के स्थान पर होगी यदि किसी कारण से यह संभव नहीं है तो उच्च न्यायालय उसे उसी श्रेणी में किसी स्थान पर पदस्थ कर सकता है।
जनवरी में शुरू होगी स्थानांतरण प्रक्रिया
हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि पालिसी को समय पर और प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए स्थानांतरण प्रक्रिया हर साल जनवरी के महीने से शुरू होगी। कैलेंडर वर्ष का 31 मार्च से तीन वर्षों के सामान्य पदस्थापना कार्यकाल की गणना की तारीख होगी।
यदि किसी का वर्ष के मध्य में होती है तो ऐसी स्थिति में 6 महीने या उससे अधिक की अवधि को एक वर्ष गिना जाएगा। न्यायायिक अधिकारियों का वार्षिक स्थानांतरण प्रत्येक वर्ष 15 मार्च तक किया जाएगा।
अप्रैल के पहले दिन तक कार्यभार ग्रहण करने का समय दिया जाएगा। ताकि शैक्षणिक सत्र के साथ ताल मेल बैठाया जा सके। किसी स्थान पर पद स्थापना का सामान्य कार्यकाल तीन वर्ष होगा।