BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में महिला ने विवाह के पूर्व बीमारी की जानकारी नहीं देने व वैवाहिक यातनाएं देने के खिलाफ याचिका दायर की थी। याचिका में महिला ने विवाह विच्छेद की मांग की थी। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए महिला के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि बीमारी छिपाकर की गई शादी वैवाहिक यातना के समान है। साथ ही विवाह विच्छेद की डिक्री को मंजूरी दे दी है। इतना ही नहीं 7.50 हजार रुपये के साथ स्त्रीधन वापस करने का आदेश दिया है।
बता दें, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में रहने वाली महिला ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। इसमें पेंड्रारोड के एडीजे कोर्ट ने हिन्दू विवाह अधिनियम की धार 13 के तहत प्रस्तुत मामले में विवाह विच्छेद की मांग नामंजूर करने को चुनौती दी गई थी।
याचिका में बताया गा कि उसकी शादी 28 जून 2020 को जांजगीर-चांपा के नवागढ़ में रहने वाले अनुराग से हुई थी। महिला ने बताया कि शादी की रस्म चलने के दौरान ही अनुराग को मिर्गी के दौरे पड़ने लगे। इस पर उसके माता-पिता और अन्य परिजनों ने युवक के माता-पिता से आपत्ति जताई।
इसके बाद रस्में अधूरी छोड़ दी। इस बीच अनुराग का भाई 6-7 लोगों के साथ वहां पहुंचा। उन्होंने धमकी देकर जबरन शादी की बाकी रस्म पूरा कराया। जब वह ससुराल आ गई तब उसे कम दहेज लाने को लेकर प्रताड़ित किया जाने लगा।
उसका मोबाइल भी छीन लिया गया। बेडरूम और किचन तक ही आने-जाने की अनुमति दी। यहां तक कि रक्षाबंधन के दिन भी उसे मायके नहीं जाने दिया गया। याचिका में उसने विवाह विच्छेद की मांग की थी। वहीं पति ने महिला के आरोपो को गलत बताया है।
सुलह का प्रयास रहा असफल, महिला के पक्ष आया फैसला
कोर्ट ने मध्यस्थता के माध्यम से सुलह के प्रयास किए। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान दोनों को मध्यस्थता केंद्र भेजा और सुलह के प्रयास किए, लेकिन यह नाकाम रहा। इसके बाद कोर्ट ने दोनों से व्यक्तिगत रूप से चर्चा की।
इस दौरान उन्होंने अलग होने पर सहमति दी। महिला ने गुजारा भत्ते के रूप में 7 लाख 50 हजार रुपये की मांग की। साथ ही स्त्रीधन भी मांगा। हाईकोर्ट ने इसे मंजूर किया है।
महिला के पक्ष में तलाक की डिक्री मंजूर करते हुए उसे दो माह के भीतर साढ़े सात लाख रुपये के साथ स्त्रीधन लौटाने के निर्देश दिए है।