BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में सहायक शिक्षक पंचायत को शिक्षक पंचायत ग्रंथपाल के पद पर पदोन्नति से अपात्र करने पर याचिका दायर की गई थी। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की बेंच ने करते हुए याचिकाकर्ता सहायक शिक्षकों (पंचायत) को शिक्षक पंचायत ग्रंथपाल के पद पर पदोन्नत करने का आदेश दिया है। इसके लिए कोर्ट ने राज्य शासन को छह सप्ताह का समय दिया है।
बता दें, राज्य शासन ने सहायक शिक्षक पंचायत ग्रंथपाल को ही शिक्षक पंचायत ग्रंथपाल के पद पर पदोन्नति के लिए पात्र नहीं मान रही थी। राज्य शासन के इस निर्णय के कारण सहायक शिक्षक (पंचायत) पदोन्नति से वंचित हो गए थे।
छत्तीसगढ़ शिक्षक (पंचायत) संवर्ग सेवा तथा भर्ती नियम 2012 के अनुसार सहायक शिक्षक (पंचायत) जो लाइब्रेरी साइंस में डिप्लोमा या डिग्रीधारी हैं और सात वर्ष का अनुभव रखते हैं उसे शिक्षक पंचायत ग्रंथपाल के पद पर पदोन्नति की पात्रता मिलेगी। याचिकाकर्ता सर्वेश शर्मा और अन्य सहायक शिक्षक पंचायत के पद पर गरियाबंद में 2008 में नियुक्त हुए थे। सात वर्ष की सेवा के बाद उन्हें शिक्षक पंचायत ग्रंथपाल के पद पर पदोन्नति की पात्रता थी।
किंतु वर्ष 2018 में राज्य शासन ने एक निर्देश जारी कर सहायक शिक्षक पंचायत ग्रंथपाल ही शिक्षक पंचायत ग्रंथपाल के पद पर पदोन्नत होने की शर्त रख दी। राज्य शासन के इस निर्णय को सर्वेश शर्मा सहित अन्य शिक्षकों ने अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी थी।
याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में बताया है कि नियम 2012 में शिक्षक ग्रंथपाल पद पर पदोन्नति के लिए सहायक शिक्षक पंचायत प्रावधानित है। जिसे अवर सचिव ने गलत व्याख्या करते हुए सहायक शिक्षक पंचायत के साथ ग्रंथपाल जोड़ दिया है। अवर सचिव के गलत व्याख्या और नियमों में अनावश्यक संशोधन करने के कारण सहायक शिक्षक (पंचायत) पदोन्नति से वंचित हो गए है।
याचिका के अनुसार परिपत्र से नियम नहीं बदला जा सकता है। इसके अतिरिक्त महासमुंद सरगुजा में समान सहायक शिक्षक पंचायत की पदोन्नति शिक्षक (पंचायत) ग्रंथपाल के पद में हुई है। शासन ने कहा कि अन्य जिलों में पदोन्नति गलत हुई है।
अन्य दो जिलों में हो चुकी है पदोन्नति
याचिकाकर्ताओं की ओर से उनके अधिवक्ता ने दो जिलों में सहायक शिक्षक पंचायत की पदोन्नति की जानकारी कोर्ट दी। कोर्ट ने इसे आधार बनाते हुए कहा कि जब दो जिलों में सहायक शिक्षक पंचायत की पदोन्नति की गई है तो याचिकाकर्ताओं के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के प्रकरण में पदोन्नति पर विचार करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए 6 सप्ताह का समय राज्य शासन को दिया है।