BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में सामूहिक दुष्कर्म के आरोपियों ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सजा कम करने याचिका दायर की थी। इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की बेंच में हुई। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए अपील को खारिज कर दी है। ट्रायल कोर्ट ने आईपीसी और पॉक्सो एक्ट की धाराओं में चार को दोषी ठहराते हुए 7 साल, 10 साल व 20 साल की सजा व सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। इसी फैसले को आरोपियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
बता दें, बिलासपुर के तोरवा थाना क्षेत्र में लालखदान में रहने वाली 13 वर्षीय बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना को चार आरोपियों ने अंजाम दिया था। घटना जनवरी वर्ष 2022 में हुई थी।
बच्ची शाम 6 बजकर 30 मिनट के करीब मंदिर से घर लौट रही थी। इसी समय चार युवकों ने उसे जबरदस्ती रोक लिया। विरोध करने पर युवकों ने उससे मारपीट की और मुंह दबा दिया।
उसे उठाकर पैदल सुनसान जगह पर ले गए। इस दौरान दो युवक रखवाली कर रहे थे और दो युवकों ने करीब डेढ़ घंटे तक उसके साथ दुष्कर्म किया था। इसके बाद चारों आरोपी वहां से भाग निकले। बच्ची के नहीं आने पर परिजन उसकी तलाश कर रहे थे।
रात करीब साढ़े नौबज घर लौटी रास्ते में पिता मिले तो बच्ची ने पिता को घटना की पूरी जानकारी दी। आरोपी युवक उसके मोहल्ले में आना-जाना करते थे।
इस वजह से वह चारों को पहचानती थी। पुलिस ने सूरज यादव, महेश पासी, सूरज सूर्यवंशी और दीपक निषाद को गिरफ्तार किया था।
फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई के बाद सजा
इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में हुई। सुनवाई के बाद 11 जुलाई 2023 को फैसला दिया गया था। कोर्ट ने चारों को दोषी ठहराया
और आईपीसी की धारा 363/ 34 में सात साल सश्रम कारावास व 1 हजार जुर्माना, धारा 366ए/34 में 10 साल सश्रम कारावास और 1 हजार रुपये जुर्माना और पॉक्सों एक्ट की धारा 5जी 6 के तहत 20 साल सश्रम कारावास क सजा सुनाई गई थी।