NEW DELHI. नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (CAA) को लेकर विवाद जारी है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी चल रही है। इसी को लेकर शीर्ष अदालत में मंगलवार (19 मार्च) को सुनवाई। कोर्ट ने 200 से ज्यादा याचिकाओं पर जवाब देने के लिए सरकार को नोटिस जारी किया है।
इस मामले पर अब अगली सुनवाई 9 अप्रैल को होगी। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में सीएए और नागरिकता संशोधन नियम 2024 को लागू करने पर रोक लगाने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ इन याचिकाओं पर सुनवाई की।
पिछले हफ्ते वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष केरल के इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) द्वारा दायर एक याचिका का उल्लेख किया। उन्होंने इसका जिक्र करते हुए कहा कि सीएए लागू करना संदिग्ध लगता है, क्योंकि लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि CAA मुस्लिमों के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव करता है. यह भी तर्क दिया गया है कि इसके जरिए धार्मिक अलगाव करने की कोशिश की जा रही है। याकिकाकर्ताओं ने कहा है कि सीएए संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है(
सीएए लागू होने के बाद से ही इसका विरोध किया जा रहा है. इस कानून के सामने आने के बाद से ही इसे धार्मिक विभाजन वाला बताया जा रहा है। बता दें कि इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के अलावा भी कई प्रमुख लोगों ने सीएए के खिलाफ याचिकाएं दायर की हैं।
इसमें तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा, कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश, एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी, असम कांग्रेस नेता देबब्रत सैकिया, गैर सरकारी संगठन रिहाई मंच और सिटीजन्स अगेंस्ट हेट, असम एडवोकेट्स एसोसिएशन और कुछ कानून के छात्र शामिल हैं।