NEW DELHI. सर्वोच्च न्यायालय ने 1998 के पीवी नरसिम्हा राव मामले के फैसले को खारिज कर कहा कि सांसदों और विधायकों को रिश्वत के बदले विधायिका में वोट देने पर कानूनी कार्रवाई से छूट नहीं है। बेंच ने कहा, ये सर्वसम्मति का फैसला है और सुप्रीम कोर्ट छूट से असहमत है। वोट के बदले नोट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला देते हुए यह भी कहा कि सांसद या विधायक सदन में मतदान के लिए रिश्वत लेकर कार्रवाई से नहीं बच सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में सांसद और विधायकों को लेकर सुनाए गए इस फैसले का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्वागत किया। उन्होंने ट्वीट में लिखा- “स्वागतम । सुप्रीम कोर्ट ने एक महान निर्णय लिया है, जो स्वच्छ राजनीति सुनिश्चित करेगा और सिस्टम में लोगों का विश्वास गहरा करेगा।”
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 1998 के फैसले में कहा गया था कि अगर सांसद और विधायक रिश्वत लेकर सदन में वोट देते हैं तो उन्हें मुकदमे से छूट होगी। सीता सोरेन बनाम भारत सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 105 (2) और 194 (2) के तहत सांसद और विधायकों को हासिल विशेषाधिकार की व्याख्या कर रहा है।
फैसला सुनाने वाले जजों में CJI डी वाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं। कोर्ट के सामने सवाल था कि रिश्वत के बदले सदन में भाषण या वोट देने के मामलों में क्या जनप्रतिनिधि कानूनी मुकदमे से छूट का दावा कर सकते हैं या नहीं? इस मामले में 1998 के अपने ही फैसले पर सुप्रीम कोर्ट को दोबारा से विचार करना था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधायिका के किसी सदस्य की ओर से भ्रष्टाचार या रिश्वतखोरी सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी को खत्म कर देती है। इस तरह सांसद या विधायक सदन में मतदान के लिए रिश्वत लेकर मुकदमे की कार्रवाई से बच नहीं सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 1998 के नरसिम्हा राव जजमेंट के अपने फैसले को पलट दिया है। 1998 में 5 जजों की संविधान पीठ ने 3:2 के बहुमत से तय किया था कि रिश्वतखोरी के ऐसे मामलों में जनप्रतिनिधियों पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एडवोकेड अश्विनी उपाध्याय ने बताया कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच ने ऐतिहासिक फैसला दिया है। कोर्ट ने पुराने फैसले को भी ओवर-रूल कर दिया। कोर्ट ने साफ किया कि कोई भी विधायक अगर रुपये लेकर सवाल पूछता है या रुपये लेकर किसी को कोट करता है। तब उसे कोई संरक्षण नहीं मिलेगा। न ही उसे कोई प्रोटोकॉल मिलेगा, बल्कि उसके खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा चलेगा।