BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में जांजगीर-चांपा में जिला खनिज न्यास मद में 52 लाख रुपये की गड़बड़ी मामले में याचिका दायर की गई है। याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पहले ही जिला पंचायत सीईओ को नोटिस जारी किया था। जिसके बाद भी जवाब नहीं दिया गया। इस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए सीईओ को 9 अप्रैल को तलब किया है।
बता दें, जांजगीर-चांपा में जिला खनिज न्यास मद में 52 लाख रुपये की गड़बड़ी का मामला सामने आया है। इस केस में जिला पंचायत ने दोषी अफसरों पर कार्रवाई करने के बजाए एक फेकल्टी मेंबर की सेवा समाप्त कर दी है। उनकी याचिका पर जिला पंचायत सीईओ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था लेकिन इस पर कोई जवाब नहीं मिला।
इसे हाईकोर्ट ने अवमानना मानते हुए जिला पंचायत सीईओ को तलब किया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि जिस काम के लिए उन्हें दोषी बताया गया है, उसमें उनका काम केवल विभाग में प्रस्तुत दस्तावेजों का परीक्षण करना था। काम के निरीक्षण का अधिकार उन्हें नहीं दिया गया था।
भुगतान के बाद शिकायत होने पर जांच कराई गई। जिसमें राशि के लेन-देन में उनकी संलिप्तता नहीं पाई गई। लेकिन लाखों के भ्रष्टाचार में संलिप्तता का आरोप लगाते हुए कलेक्टर के निर्देश पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला जांजगीर-चांपा द्वारा उसकी सेवा समाप्त कर दी गई। राशि की लेनदेन में शामिल किसी भी अधिकारी, कर्मचारी और ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई और उन्हें बलि का बकरा बनाया गया।
संकाय सदस्य की नियुक्ति के लिए जारी किया विज्ञापन
याचिकाकर्ता चंद्रहास जायसवाल ने एडवोकेट प्रतीक शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट याचिका दायर की है। उन्होंने बताया कि जिला पंचायत जांजगीर-चांपा में मुख्यमंत्री सशक्तिकरण योजना के तहत संकाय सदस्य के पद पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया था।
इसके लिए याचिकाकर्ता ने भी आवेदन पत्र जमा किया था और मैरिट लिस्ट के आधार पर 25 जनवरी 2017 को उन्हें नियुक्ति दी गई थी। इस बीच बिना किसी शिकायत के वह 9 सितंबर 2023 तक काम करता रहा।
गड़बड़ी का आरोप लगाया
कोर्ट को जानकारी देते हुए बताया कि जिला खनिज संस्थान न्यास मद के अंतर्गत कौशल विकास और रोजगार चयन में मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण सह टूल्स प्रदाय व अन्य कार्य के लिए 30 मार्च 2021 को 52 लाख 4 हजार 500 रुपये की राशि की प्रशासकीय स्वीकृति मिली।
इसके बाद इस काम के लिए विधिवत टेंडर मंगवाकर काम कराने के बाद भुगतान किया गया। फिर डीएमएफ के इस काम में गड़बड़ी की शिकायत की गई। तब जांच कराई गई। जांच में 52 लाख रुपये की गड़बड़ी पाई गई। जिस पर कलेक्टर के निर्देश पर उनकी सेवा समाप्त कर दी गई।