BILASPUR. चिरमिरी क्षेत्र में एसईसीएल प्रबंधन कोल माइंस विस्तार कार्य कर रही है। इसके रास्ते में आ रहे मंदिर व अन्य निर्माण कार्य को हटाने का कार्य किया जा रहा था। यहां पर छोटे झाड़ का जंगल है। मंदिर के नाम पर देवगुड़ी को हटाने की जानकारी देते हुए जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ताओं ने देवगुड़ी को ना हटाए जाने की मांग की थी। कलेक्टर ने कोर्ट में शपथ पत्र पेश कर पूरे मामले की जानकारी कोर्ट को दी थी। मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है।
बता दें, मामला चिरमीरी क्षेत्र के बरतुंगा स्थित सती मंदिर देवगुड़ी का है। बरतुंगा क्षेत्र के निवासी हरभजन सिंह ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि कोल माइंस विस्तारीकारण योजना के तहत जिला प्रशासन के द्वारा मंदिर के साथ-साथ देवगुड़ी को भी हटाया जा रहा है। जनहित याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने कलेक्टर मनेन्द्रगढ़ भरतपुर चिरमिरी को नोटिस जारी कर शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने का निर्देश दिया था।
कलेक्टर ने शपथ पत्र पेश करते हुए कोर्ट के सामने जानकारी दी थी। शपथ पत्र में इस बात की जानकारी दी थी कि माइंस विस्तारीकरण योजना के तहत कार्य किया जा रहा है।
संचालनालय संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के अधिकारियों की निगरानी में मंदिर के अवशेष व कलाकृतियों का विस्थापन कार्य किया जा रहा है। सती मंदिर के अवशेषों को सुरक्षित रखने के लिए एसईसीएल के सहयोग से बरतुंगा में जिला संग्रहालय का निर्माण कराया जा रहा है।
34 लाख रुपये खर्च कर 600 साल पुराने सती मंदिर के अवशेषों को शिव मंदिर परिसर में संरक्षित किया जा रहा है।
15 मिलियन टन कोयला उत्पादन की है संभावना
चिरमिरी एसईसीएल के अधिकारियों के मुताबिक माना जा रहा है कि प्रबंधन को कोयला खनन के लिए जमीन उपलब्ध होगा तो यहां से लगभग 15 मिलियन टन कोयला का उत्पादन की संभावना है। इससे चिरमिरी क्षेत्र के ग्रामीणों की पलायन पर भी रोक लगेगी और उन्हें रोजागर मिलने के अवसर भी बढ़ेंगे।