BILASPUR. बीते दिनों सारंगढ़ उप जेल में बंदियों की पिटाई को लेकर अखबारों में प्रकाशित खबर को स्वतःसंज्ञान में लेते हुए हाईकोर्ट ने जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर लिया है। सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा व जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में हुई। कोर्ट की नोटिस का जवाब देने पुलिस महानिदेशक हाईकोर्ट पहुंचे। उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस मामले में जेलर सहित चार कर्मचारियों को निलंबित कर एफआईआर दर्ज कराई गई है।
बता दें, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सांरगढ़ उपजेल में बंदियों से मारपीट के मामले में पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर इस मामले में जवाब मांगा था। पुलिस महानिदेशक जवाब देने के लिए पहुंचे। उन्होंने कोर्ट को जानकारी देते हुए कहा कि मामले में दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
साथ ही विभागीय जांच भी कराई जा रही है। जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दोनों बंदियों की ओर से उनके स्वजन ने हस्तक्षेप याचिका पेश किया।
याचिकाकर्ता के स्वजनों की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता ने बताया कि जेल के भीतर वसूली के लिए पुलिस कर्मियों द्वारा दबाव बनाया जाता है और प्रताड़ित भी करते है।
फोन पे व पेटीएम से मांगते है पैसे
अधिवक्ता ने बताया कि नकद राशि के अलावा फोन पे, पेटीएम व अन्य आनलाइन माध्यम से अलग-अलग खातों में पैसे ट्रांजेक्शन भी कराया जाता है। हस्तक्षेप कर्ताओं ने कोर्ट में उन खाता नंबर की जानकारी दी है कि जिसमें आनलाइन ट्रांजेक्शन भी किया गया है।
ट्रांजेक्शन के आधार पर जांच करने निर्देश
डिवीजन बेंच ने इसे गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने जिन खाता नंबरों में आनलाइन राशि जमा कराई गई है। उसके संबंध में पड़ताल करने के निर्देश डीजी जेल को दिए है। कोर्ट ने कहा कि इन खाता नंबर की जानकारी जुटाई जाए और पूरी जानकारी कोर्ट के सामने रखी जाए।
हस्तक्षेपकर्ताओं को भी फटकार लगाई
कोर्ट ने हस्तक्षेपकर्ताओं को भी फटकार लगाते हुए कहा कि जब जेल के भीतर वसूली की जा रही थी तो उच्चाधिकारियों से शिकायत क्यों नहीं की गई। इस तरह की गतिविधियों को बढ़ावा देने का काम क्यों कर रहे थे। आप लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए।