BILASPUR. छत्तीसगढ़ में एक बार फिर पोस्टिंग में गड़बड़ी का जिन्न बाहर आया है। दरअसल, इस मामले में एक बार फिर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद शिक्षकों को राहत देते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि शिक्षक अब संशोधित आदेश के अनुसार स्कूलों में जॉइन कर सकेंगे। बता दें कि 3 नवंबर को दिए गए हाई कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या करते हुए शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किए थे, जिसे चुनौती दी गई थी।
दरअसल, राज्य सरकार ने सहायक शिक्षक से शिक्षक और शिक्षक से प्रधान पाठक प्रमोशन की प्रक्रिया अप्रैल मई में शुरू की थी। काउंसिलिंग के बाद प्रमोशन की प्रक्रिया हुई थी। इस दौरान पोस्टिंग में कई शिक्षकों को दूरदराज एवं अन्य जिलों में पोस्टिंग दे दी गई थी। पोस्टिंग से असंतुष्ट हजारों शिक्षकों ने संशोधन के लिए आवेदन किया था। संयुक्त संचालक ने सभी के आवेदन पर विचार करते हुए निकट के शाला में पोस्टिंग दी।
इसी बीच, 4 सितंबर को सचिव स्कूल शिक्षा विभाग की तरफ से शिक्षकों की नई पोस्टिंग को निरस्त करते हुए एकतरफा शिक्षकों को संशोधित स्कूलों से कार्यमुक्त कर दिया गया। इस फैसले के खिलाफ शिक्षकों ने हाई कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की। 11 सितंबर को हुई सुनवाई में हाई कोर्ट ने यथास्थिति का आदेश दिया। इस आदेश से सभी शिक्षकों को मुश्किलें बढ़ गईं, इस कारण वे न तो स्कूलों में जॉइन कर पाए और ना ही संशोधित शाला में लौट पाए। 3 नवंबर को हाईकोर्ट ने अंतिम निर्णय दिया, जिसमें राज्य सरकार को याचिकाकर्ताओं के अभ्यावेदनों का 45 दिनों के भीतर निराकरण करने के निर्देश दिए गए थे। इसके लिए सचिव स्कूल शिक्षा विभाग के नेतृत्व में कमेटी बनाने को कहा गया था
इन्होंने लगाई थी याचिका
हाई कोर्ट के फैसले में पिछली पोस्टिंग वाले स्कूलों में जॉइन करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन इस शब्द को लेकर विभाग की तरफ से ऐसी व्याख्या की गई जिसमें यह कहा गया कि पिछली पोस्टिंग का मतलब संशोधित स्कूल नहीं बल्कि पदोन्नति के बाद हुई पहली पोस्टिंग है। मूल शाला में जॉइनिंग के लिए बाध्य किए जाने के विरोध में शिक्षक केशव कुमार वर्मा, राजेश कुमार कौशिक, देवनारायण यादव, धीरेंद्र कुमार पांडे समेत अन्य ने अधिवक्ता अवध त्रिपाठी और मनोज परांजपे के जरिए याचिका लगाई। इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 10 दिनों के भीतर याचिकाकर्ताओं को संशोधित शाला में जॉइनिंग देने के निर्देश दिए हैं। साथ ही राज्य सरकार की तरफ से गलत व्याख्या वाले निर्देश को निरस्त कर दिया है।