RAIPUR. छत्तीसगढ़ में हार के बाद कांग्रेस अपनी हार की समीक्षा कर रही है। इसमें तरह-तरह की बातें सामने आ रही हैं। समीक्षा बैठक के दौरान कांग्रेस कुछ नेताओं ने कहा कि हार की वजह छत्तीसगढ़ियावाद भी है। प्रदेश में बड़ी आबादी दूसरे प्रदेशों से आकर रहती है। ऐसे में उन्हें डर लग गया था कि अगर कांग्रेस सरकार वापस आती है तो उनके साथ पक्षपात होगा। यही वजह है कि शहरी सीटों पर हमें करारी हार झेलनी पड़ी।
वहीं कुछ संगठन के नेताओं ने बताया कि कार्यकर्ताओं में बहुत नाराजगी थी। पांच साल उनकी सुनवाई नहीं हुई। गुटबाजी भी हावी थी। अधिकारी मंत्रियों तक की नहीं सुनते थे। यही वजह है कि मंत्री भी हार गए। बता दें कि नई दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और सांसद राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ नेताओं से लिया। इस समीक्षा बैठक में सभी नेताओं से राय ली गई, तब ये बातें सामने आई हैं।
बैठक में कहा गया कि सत्ता की ताकत का केंद्रीयकरण हो गया था। यही वजह है कि कोई अफसर किसी और नेता की सुनता ही नहीं था। इस वजह से कार्यकर्ताओं में खासी नाराजगी थी। साथ ही घोषणापत्र भाजपा से मजबूत था, लेकिन उनके महतारी वंदन योजना के फार्म ने महिलाओं को एकतरफा कर दिया। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि हमें इससे सबक लेना चाहिए और लोकसभा में एकजुट होकर चुनाव लड़ना होगा। लोकसभा की एक-एक सीट पर काम करना होगा।
पार्टी के प्रदर्शन पर बूथवार रिपोर्ट सौंपने के निर्देश
इस दौरान कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि राज्य कांग्रेस प्रमुखों को पार्टी के प्रदर्शन पर बूथवार रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा, हम लोगों के साथ अपना जुड़ाव मजबूत करेंगे और भाजपा सरकार को हटाने के लिए आगामी लोकसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ेंगे। एआईसीसी की छत्तीसगढ़ प्रभारी महासचिव कुमारी शैलजा ने कहा कि वे निराश हैं, लेकिन हतोत्साहित नहीं हैं।
शहरी क्षेत्रों में सरकार को लेकर नाराजगी दिखी
नई दिल्ली में बैठक में चर्चा के दौरान ये बात भी सामने आई कि बीजेपी ने भ्रष्टाचार मुद्दा उठाया, लोगों में गुस्सा भरा। संगठन और सत्ता का तालमेल बेहतर नहीं हो पाया। इसकी कमी शुरू से देखने को मिली, लेकिन सुधार नहीं कर पाए। शहरी क्षेत्रों में सरकार को लेकर नाराजगी अधिक थी। इसे हम समय रहते खत्म नहीं कर पाए। वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा की गई, उनकी सुनवाई कहीं नहीं होती थी। इससे कार्यकर्ताओं में रोष बढ़ता गया।