DURG. केन्द्रीय विद्यालय दुर्ग में शुक्रवार को सतत विकास पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य भावी पीढ़ी को प्रकृति के संरक्षण व संवर्धन के लिए प्रेरित करना था। कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष इलेक्ट्रिॉनिक्स इंजीनियरिंग शंकराचार्य तकनीकी कैंपस की डॉ.शिपी रेलहन गोयल ने संबोधित करते हुए कहा कि इसके लिए हमें पांच बातों का ध्यान रखना होगा।
पीपल, प्लेनेट, प्रोस्पेरिटी, पीस और पार्टनरशिप। इन पांच बातों का ध्यान रखकर ही सतस विकास की परिकल्पना साकार हो सकती है। वर्तमान समय में ऐसा महसूस किया जा रहा है कि विकास की अंधाधुंध दौड़ ने व्यक्ति को अत्यधिक स्वार्थी बना दिया है। हम वर्तमान की सोच रहे है। भविष्य हमारी सोच का आधार नहीं बन रहा है। सतत विकास इस बात पर जोर देता है कि विकास विनाश का आह्वान न करे।
प्रकृति का दोहरन करने के साथ-साथ प्रकृति का संरक्षण और संवर्धन भी करना चाहिए। क्योंकि बची हुई प्रकृति ही हमारे भविष्य या भावी पीढ़ी के जीवन का आधार बनेगी। सामाजिक जीवन की अवहेलना नहीं की जानी चाहिए। कार्यक्रम संयोजन एस के चतुर्वेदी ने किया। उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा ही वर्तमान और भविष्य के बीच की सेतु है। हमारा भविष्य क्या होगा यह हमारी शिक्षा तय करेगी। इसीलिए आज हम इस चर्चा के माध्यम से अपने छात्रों को भविष्य की प्रकृति और भविष्य की दुनिया को बचाने के लिए प्रशिक्षित कर रहे है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे उमाशंकर मिश्रा ने कहा कि हमारी संस्कृति में पशु-पक्षियों के लिए भी भोजन की व्यववस्था करने का विधान है। हम प्रकृति में नदी में पेड़-पौधों में ईश्वर को देखने का प्रयास करते है। इसका यही आशय है कि प्रकृति हमारे जीवन का आधार है। इसलिए उसका बिगाड़ या उसे प्रदूषित नहीं किया जाना चाहिए।
हमारी जीवन शैली ऐसी होनी चाहिए जिससे हम किसी के लिए खतरा न बने। विकास करते समय इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि हम भावी पीढ़ी के लिए भी अच्छे संसाधनों से युक्त पृथ्वी या संसार को बनाए रखे। कार्यक्रम में 214 विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में विद्यालय की उप प्राचार्य पुष्पा बड़ा भी मौजूद रही। कार्यक्रम के अंत में छात्रा आशी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।