BILASPUR.शारदीय नवरात्रि की नवमीं की तिथि को रतनपुर स्थित आदिशक्ति का अलौकिक श्रृंगार किया गया। आदिशक्ति मां महामाया का राजसी श्रृंगार किया गया। मान्यतानुसार आदिशक्ति का यह श्रृंगार खास माना जाता है। माता को राजसी रूप में देखने के लिए भक्त खास तौर पर मंदिर पहुंच रहे है।
बता दें, शारदीय नवरात्रि में आदिशक्ति मां महामाया की पूजा-अर्चना की जाती है। प्रथमा के दिन माता का श्रृंगार किया जाता है। इसके बाद नवमीं को माता का राजसी श्रृंगार विशेष महत्व रखता है। इस दिन आदिशक्ति राजसी रूप में महारानी की तरह नजर आती है।
नवमीं श्रृंगार खास
मंदिर में नवरात्रि के नौ दिन में हर दिन खास माना जाता है। लेकिन नवमीं की तिथि माता के खास रूप के लिए जाना जाता है। इस दिन देवी सिद्धीदात्री की पूजा होती है। जो कि भक्तों को धन-धान्य व सुख-समृद्धि देती है। मां महामाया का नवमीं श्रृंगार भी उसी पर आधारित है। इस दिन माता का दर्शन पुण्यकारी माना जाता है।
सर से लेकर पांव तक स्वर्ण-आभूषण
मां महामाया का नवमीं को श्रृंगार खाास माना जाता है। इस दिन माता को सर से लेकर पांव तक स्वर्ण के आभूषण पहनाए जाते है। माता को छत्तीसगढ़ी आभूषण भी पहनाए गए है। जिसमें तिलरी, पुतरी, तोड़ा, करधन जैसे पारंपरिक आभूषण शामिल है।
56 भोग भी अर्पित
आदिशक्ति मां महामाया को नवमीं में राजसी श्रृंगार के बाद 56 भोग अर्पित किए गए। जिसमें अलग-अलग तरह के मिठाई, नमकीन व्यंजन व दाल, सब्जी, पूड़ी भी अर्पित किया गया।