BHILAI. भारत के चंद्रयान-3 ने सफलतापूर्वक चंद्रमा के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग कर ली है. इससे पूरा देश गौरवान्वित महसूस कर रहा है. चंद्रयान-३की सॉफ्ट लैंडिंग से छत्तीसगढ़ की इस्पात नगरी भिलाई में दोगुना जश्न मनाया जा रहा है. भिलाई के बेटे ने भी चंद्रयान-3 मिशन में अपना योगदान दिया है. भिलाई-3 चरोदा निवासी भारत कुमार ने IIT धनबाद से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की, इसके बाद उन्होंने चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 दोनों ही मिशन में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है.
बचपन से किया संघर्ष
भारत कुमार के पिता चंद्रमोहन का कहना है कि भरत बचपन से ही काफी तेज था. वो सुबह 04:00 बजे से उठकर पढ़ाई करता था. भारत ने केंद्रीय विद्यालय में कक्षा 3 से कक्षा 12 वीं तक की पढ़ाई पूरी की है. भारत में कक्षा 10 वीं में 93% और 12 वीं में 94% प्रतिशत लाए हैं. साथ ही वह स्कूल से फ़ौरन आने के बाद मां के काम में हाथ बटाने लगता था. इसके बावजूद वो स्कूल में हमेशा फर्स्ट आया है. उसका सपना था कि वो बड़ा होकर वैज्ञानिक बने और देश का नाम रौशन करे. आज उसका सपना पूरा हुआ है.
माँ के साथ दूकान में करता था काम
भारत पढ़ाई में तेज होने के साथ ही अपने माता-पिता के हर सुख-दुःख का साथी भी बना है. भरत की माँ इडली-डोसा की दूकान चलाती थी. भरत उस दुकान में पढ़ाई से फ्री होकर बर्तन धोने और अन्य कार्यों में काफी मदद करता था. आज उसका सपना पूरा हो गया है.
भारत की सफलता में इस व्यवसायी का बड़ा हाथ
भरत जब 12 वीं कक्षा में अच्छे नंबर से पास हुआ तो उसके बारे में टीवी न्यूज़, अखबार में ख़बरें छपी थी कि बीएमवाई (भिलाई मार्शलिंग यार्ड) के छात्र ने फिजिक्स में 99 केमिस्ट्री में 98 और गणित में 99 अंक हासिल किए हैं । अब वह आईआईटी में पढ़ना चाहता है, लेकिन इसमें गरीबी उसकी बाधा बन रही है।
ये देखकर रायपुर के व्यवसायी अरुण गोयल और उनकी पत्नी वनजा भारत के घर चरोदा पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि एक 10×10 की झोपड़ी के बाहर बैठकर एक लड़का बर्तन धो रहा था. उसकी मां वहीं इडली-डोसा वहां पास के फैक्टरी में काम करने वाले कामगारों को नाश्ता दे रही थी.
ये देखकर अरुण गोयल की पत्नी वनजा ने बर्तन धो रहे लड़के से पूछा कि भरत कुमार कहा मिलेगा? जब भरत ने बोला कि वही भरत कुमार है तो उन्हें यकीन नहीं हुआ था. भरत ने अपनी मार्कशीट दिखाई तो वो लोग दंग रह गए. इसके बाद आगे पढ़ाई के लिए उन्होंने भरत को सहयोग भी किया।
IIT में मिला एडमिशन
अरुण गोयल की मदद से भरत ने भिलाई में ही आईआईटी की कोचिंग शुरू कर दी थी. उसने धनबाद आईआईटी में एडमिशन लिया। वहां से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में टॉप करके उसने गोल्ड मेडल हासिल किया। कैंपस इंटरव्यू में मैकेनिकल ब्रांच से केवल उसी का चयन एक बड़े सरकारी संस्थान में किया गया था. इसके बाद उसने इसरो ज्वाइन कर लिया, यहां उसने चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 दोनों मिशन में सहयोग देकर भिलाई शहर का नाम पूरे विश्व में रौशन कर दिया है.