RAIPUR. चुनावी साल में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चालू हो गया है। इस बीच, कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी की पिछली सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि डॉ. रमन सिंह की सरकार ने वर्ष 2012-17 के बीच सरकार ने शराब ठेकेदारों से मिली भगत कर लगभग 4400 करोड़ रुपयों का भ्रष्टाचार किया। रमन सरकार ने भी अपने कार्यकाल में दशकों से चली आ रही आबकारी नीति को परिवर्तित कर दिया था, वैसे ही जैसे दिल्ली की आप सरकार ने किया है। दिल्ली की सरकार ने आबकारी नीति में परिवर्तन किया तो भाजपा ने आरोप लगाया कि घोटाला करने के उद्देश्य से शराब निर्माताओं को फायदा पहुंचाने के लिये यह नीति परिवर्तित की गई, वहां के उप मुख्यमंत्री को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है, वे जेल में है। ऐसे ही नीति परिवर्तन के लिये रमन सिंह की तत्कालीन भाजपा सरकार के खिलाफ भी जांच की जानी चाहिए। इस दौरान प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री प्रशासन रवि घोष, महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला, प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी, धनंजय सिंह ठाकुर, अजय साहू, नितिन भंसाली, मणी प्रकाश वैष्णव आदि मौजूद थे।
राजीव भवन में मीडिया से बात करते हुए सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि प्रदेश के आबकारी विभाग में साल 2012 से 2017 के बीच शासन के उच्चस्तरीय संरक्षण में प्रदेश में मौजूद शराब उत्पादकों को फायदा पहुंचाने एवं करोड़ों के कमीशनखोरी किए जाने के उद्देश्य से बिना मापदण्डों का पालन किए ही उनके उत्पाद को इंडियन मेड फॉरेन लिकर (IMFL) की केटेगरी में शामिल किया। इससे शराब बिक्री में ठेकेदारों को अधिक मुनाफा दिया गया। इन अवैधानिक तरीके से IMFL श्रेणी की केटेगरी में रखी गई शराब को प्रदेश में ऊंची दरों पर बेचते हुए कई सौ करोड़ रुपयों की कमीशनखोरी कर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है।
रमन सरकार ने ऐसे पहुंचाया लाभ
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि रमन सरकार द्वारा मदिरा के सेल प्राइज फिक्सेशन में देशी शराब के निविदाकर्ता/लाइसेंसी को साल 2012-13 एवं 2013-14 में 60 प्रतिशत तथा वर्ष 2014-15 से 2016-17 तक 50 प्रतिशत का मुनाफा प्रदान किया गया, जो कि अन्य राज्यों से ढाई गुना अधिक था। सीएजी ने भी इस पर आपत्ति जताई थी। रमन सरकार द्वारा देशी/विदेशी मदिरा के निविदाकर्ताओं को अत्यधिक मुनाफा दिए जाने के कारण साल 2012-13 से 2016-17 के मध्य विदेशी शराब के रिटेलर्स को 946.79 करोड़ तथा इसी अवधि में देशी शराब के रिटेलर्स को 567.13 करोड़ का अवैध लाभ पहुंचाया गया। तत्कालीन आबकारी विभाग ने विभिन्न निविदाकर्ताओं/लाइसेंसी शराब ठेकेदारों के साथ आपराधिक षड़यंत्र करते हुए विक्रय कर निर्धारण में कुछ शराब निर्माताओं को फायदा पहुंचाने छत्तीसगढ़ राज्य के मदिरा की फुटकर बिक्री अनुज्ञापनों के व्यवस्थापन नियमों में दर्शित लाइसेंसी शर्तों में गलत परिवर्तन कर अवैध रूप से देशी/विदेशी मदिरा के फुटकर बिक्री मूल्य निर्धारण करने के दौरान साल 2012-13 से 2016-17 के मध्य देशी/विदेशी मदिरा के फुटकर निविदाकर्ताओं को अधिक मुनाफा प्रतिशत प्रदान कर अनुचित लाभ प्रदान किया गया। इससे राज्य शासन का लगभग 4400 करोड़ रूपयों की आर्थिक क्षति कारित किया गया।
रमन सिंह के करीबी अफसर भी इस शामिल, 10 माह बाद हुई गिरफ्तारी
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा की तत्कालीन सरकार ने इस महाघोटाले को अंजाम देने के लिये रमन सिंह ने अपने खास अधिकारी समुन्द राम सिंह को रिटार्यमेंट के बाद नियमों के खिलाफ जाते हुए 9 साल लगातार सेवा वृद्धि देते हुए आबकारी विभाग में ओएसडी के पद पर कार्यरत रखा। शासन के इशारे पर उक्त अधिकारी ने इस हजारो करोड़ के आबकारी घोटाले को अंजाम दिया। संविदा पर पदस्थ अधिकारी को नियमानुसार वित्तीय अधिकार नहीं होते पर तत्कालीन सरकार के संरक्षण में उक्त अधिकारी ने नियमों की अवहेलना करते हुए वित्तीय अधिकारो का दुरूपयोग करते हुये आबकारी नीति बनाते हुये इस महाघोटाले में सरकार का साथ दिया। साल 2018 में संविदा पर पदस्थ ओएसडी समुन्द सिंह प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के दूसरे दिन इस्तीफा देकर फरार हो गए। उक्त भ्रष्टाचार की शिकायत दस्तावेजों के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उक्त भ्रष्टाचार की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी, जिस पर ईओडब्ल्यू ने जांच कर इस महाघोटाले पर मोहर लगाते हुए 26 अप्रैल 2019 को समुन्द सिंह के आठ ठिकानों पर छापा मार कार्यवाही की। 10 माह तक फरार रहने के बाद ईओडब्ल्यू ने समुंद सिंह को गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान पेश करते हुए जेल भेजा।
रमन सरकार के शराब घोटाले की जांच करे ईडी
कांग्रेस की सरकार बनने के बाद छत्तीसगढ़ की रमन सिंह के द्वारा 2017 में बनाई गई आबकारी नीति में कोई परिवर्तन नहीं किया गया। रमन सरकार के समय साल 2017-18 में छत्तीसगढ़ की आबकारी से राजस्व प्राप्ति 3900 करोड़ रुपए थी, जो कांग्रेस की सरकार बनने के बाद साल 2019-20 में 6000 करोड़ रुपए हो गई। रमन सरकार की तुलना में राजस्व प्राप्ति दोगुनी हो गयी। इस प्रकार स्पष्ट हो रहा है कि रमन सरकार के समय सुनियोजित आबकारी घोटाला हो रहा था, जिससे सरकार के राजस्व में हानि हो रही थी। हमारे सरकार को बदनाम करने के लिए भाजपा के ईशारे पर ईडी घोटाले के मिथ्या आरोप लगा रही है, जबकि हमारे सरकार के समय राजस्व बढ़ा है। ऐसे में रमन सरकार के घोटाले, जिसमें स्पष्ट तौर पर राजस्व की कमी से भी साबित है घोटाला हो रहा। इसमें सीएजी ने भी सवाल खड़ा किया था, जिसकी जांच करने का साहस ईडी क्यों नहीं दिखा रही है? हमारी मांग है कि रमन सरकार के इस शराब घोटाले की ईडी जांच करे।