PRAYAGRAJ. किसी हिंदी फिल्म की तरह माफिया से नेता बने अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ की शनिवार को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में उस वक्त गोली मारकर हत्या कर दी गई, जब वे मीडिया से बात कर रहे थे. इसी वजह से अतीक की हत्या के लाइव फुटेज कैमरे में भी कैद हो गए. वहीं अतीक से एक सवाल पूछा गया- बेटे असद के अंतिम संस्कार में नहीं ले जाने पर उसका क्या कहना है? इस सवाल के जवाब में अतीक ने कहा, ‘नहीं ले गए तो नहीं गए.’ मौत से चंद पल पहले अतीक अहमद के ये आखिरी शब्द थे.
यह सवाल एएनआई के वीडियो पत्रकार विकाश श्रीवास्तव ने किया था, जिन्हें इस घटना में पैर में गोली भी लगी . विजुअल्स के अनुसार दोनों को हथकड़ी लगाई गई और मेडिकल के लिए ले जाया गया. जैसे ही दोनों आगे बढ़े, मीडियाकर्मियों ने उनसे सवाल पूछने शुरू कर दिए. अतीक मीडिया से असद के जनाजे में न जाने पर इतना भर कह सका था… ‘मेन बात यह है कि गुड्डू मुस्लिम…’ इसी दौरान मीडियाकर्मी के रूप में पहुंचे हमलावरों ने अतीक की कनपटी में प्वाइंट ब्लैंक रेंज से गोली मार दी. फिर अशरफ को भी गोली मार दी गई. अतीक-अशरफ के जमीन पर गिर जाने के बाद भी हमलावरों ने दोनों पर गोलियों की बौछार नहीं रोकी. लगभग 22 राउंड गोलियां दागी गईं.
उत्तर प्रदेश के झांसी में मुठभेड़ में बेटे असद के मारे जाने के लगभग दिन बाद माफिया से नेता बने अतीक अहमद को भाई अशरफ अहमद को मार दिया गया. अतीक अहमद 2005 के बसपा विधायक राजू पाल हत्या के मामले में आरोपी था. इसी साल फरवरी में पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की भी हत्या कर दी गई थी. इसमें अतीक के बेटे असद का हाथ, जिसने जेल में बंद अतीक-अशरफ से सलाह मशविरा के बाद इस हत्याकांड को अंजाम दिया था.
माफिया से नेता बने अतीक अहमद के बेटे असद और उसका शूटर गुलाम प्रयागराज के उमेश पाल हत्याकांड में वांछित थे और प्रत्येक पर पांच-पांच लाख रुपये का इनाम था. दोनों ही झांसी में डीएसपी नवेंदु और डीएसपी विमल के नेतृत्व में यूपीएसटीएफ की टीम के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए. उनके पास से अत्याधुनिक विदेशी हथियार यूपी एसटीएफ ने बरामद किए थे. गौरतलब है कि उसी दिन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में सीजेएम कोर्ट लाया गया था.