KORBA.कोरबा के बांगो थाना पुलिस बैरक में ASI नरेंद्र परिहार की संदिग्ध मौत का मामला लगातार तूल पकड़ने लगा है। एएसआई की मौत के 36 घंटे के बाद भी कोरबा पुलिस मौत की गुत्थी को नहीं सुलझा पाई है। जिसे लेकर अब सवाल उठने लगे हैं। इसी बीच पूर्व गृहमंत्री एवं रामपुर विधायक ननकीराम कँवर ने जिला पुलिस सहित राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि जिस बैरक में ASI नरेंद्र सिंह परिहार की मौत हुई है, उस बैरक के चारों ओर तो पुलिस का ही पहरा होता है।
उन्होंने कहा कि वह क्षेत्र पुलिस के अधिकार क्षेत्र में आता है, जहाँ किसी का आना-जाना नहीं होता उसके बाद भी हत्या हो जाती है और 24 घंटे बीतने के बाद भी पुलिस को कोई सुराग नहीं मिलता तो ये ताज्जुब की बात है। आगे उन्होंने जिला पुलिस की क़ानून व्यवस्था को लचर व्यवस्था बताते कहा की जब पुलिस वाले की हत्या का सुराग पुलिस नही ढूंढ पा रही है तो आम आदमी की हत्या का सुराग कैसे लगाएगी।
आगे उन्होंने राज्य सरकार को घेरते हुए कहा कि मेरे गृहमंत्री काल में अपराध में कमी आई थी। इसी वजह से मैंने विधानसभा सत्र में राज्य सरकार को चुनौती दी थी कि मेरे समय में अपराध के खिलाफ जितनी कार्यवाई होती थी, आप लोग करके देखें तब कोई जवाब नही आया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस सरकार के दो मंत्रियों के नाम बताए बिना कहा कि जब कोई विधायक कुछ बोलते हैं तो सुनने के बजाए पटर-पटर कर टीका टिप्पड़ी करते रहते हैं। इन्हे मुख्यमंत्री को मना करना चाहिए, इसलिए मैंने इन्हे कहा कि तुम्हारा कोई भी मंत्री हो मैं जिस विभाग में काम किया हूँ वैसा कोई व्यवस्था बता दें, तो मैं इस्तीफा देने को तैयार हूँ नहीं तो तुम लोग इस्तीफ़ा दो।
इधर, भूपेश सरकार का दावा है कि राज्य में पहले के मुकाबले आपराधिक घटनाओं में काफी कमी दर्ज की गई हैं। राज्य सरकार के प्रवक्ता और वरिष्ठ नेता रविंद्र चौबे ने कहा है कि पुलिस जल्द ही सहायक उपनिरीक्षक के हत्यारों तक पहुँच जायेगी। मंत्री चौबे ने भाजपा पर भी आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा की भाजपा टिप्पणी करके सिर्फ राजनीति कर रही हैं। उनकी सरकार में अपराध पहले की तुलना में कम हुए हैं। जहाँ तक प्रदेश में कानून-व्यवस्था का सवाल हैं तो उसकी स्थिति भी सही है।
बता दें कि भाजपा के नेता कोरबा के बांगो थाना परिसर में हुए एएसआई के हत्या को लेकर मुखर हो चुके हैं। इस मसले पर भाजपा के नेता राज्य सरकार पर चौतरफा हमले कर रहे हैं। इसके पहले नारायण चंदेल, धरमलाल कौशिक और ओपी चौधरी ने प्रदेश के लॉ एन्ड ऑर्डर की स्थिति पर सवाल खड़े किये थे।