BHILAI. वैसे तो रिसाली निगम में 40 पार्षद हैं, लेकिन गुरुवार को हुई सामान्य सभा के बाद 41वें पार्षद की खोजबीन शुरू हो गई है। दरअसल 5 जनवरी 2022 को रिसाली निगम की पहली कार्यकारिणी का गठन हुआ था। लेकिन इसके बाद से अब तक कोई सामान्य सभा आयोजित नहीं की गई। ऐसे में भाजपा पार्षद शहर सरकार को घेरने के लिए पूरी फिल्डिंग जमाए बैठे थे। गुरुवार को आयोजित सामान्य सभा में देखने को भी मिला। इस दौरान हर मुद्दे पर भाजपा पार्षद शहर सरकार को घेरने को सफल रहे। इस दौरान तमाम तैयारियों के बाद शहर सरकार के मंत्रियों के पास भाजपा पार्षदों के तीखे सवालों के सामने ढ़ेर हो गए।
इसी बीच शहर सरकार ब्लैक लिस्ट कंपनी को ठेका देने और नगर निगम एक्ट का दुरुपयोग करते हुए एमआईसी से 2.77 लाख रुपए का ठेका एमआईसी ने उठा दिया। बाद में सदन की प्रत्याशा का हवाला देकर बहुमत के आधार पर टेंडर को पास करा लिया। लेकिन अल्पमत में रहकर भी विपक्ष सरकार घेरने में सफल रही। सदन के इस वाद-विवादे के दौरान सदन में 41वें पार्षद की बात सामने आई, जिसकी खोज अभी तक जारी है।
स्थानी विधायक व गृहमंत्री को खुद मैदान में उतरना पड़ा
निगम की सामान्य सभा में सांसद व स्थानीय विधायक सदन के पदेन सदस्य होते हैं। ऐसे में गृहमंत्री का निगम की पहली सामान्य सभा में पहुंचना सामान्य बात थी। लेकिन मंत्री जी के सदन की शुरुआत से लेकर अंत तक डटे रहने पर सदन ही नहीं पूरे शहर में चर्चा का विषय रहा। ऐसे में राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो रिसाली निगम के पहले सदन में शहर सरकार घुटने टेकने देने का अंदेशा पहले ही हो चुका था। उन्हें अंदेशा हो चुका था कि विपक्ष तमाम विषयों पर सरकार के मंत्रियों को पटखनी दे सकता है। इस बीच होने वाले बड़े हंगामे को रोकने के लिए उनकी उपस्थिती लाजमी थी।
रिसाली की प्रथम नागरिक यानी महापौर हाथ-पैर फूल गए
सदन के दौरान हर विषय पर विपक्ष सत्ता पक्ष हावी दिखाई दिया। इस बीच भाजपा पार्षदों ने वित्त संबंधी सवालों की गेंद महापौर शशि सिन्हा के खाते में डालकर जवाब मांगा। इस महापौर सवाल देना तो दूर घबराहट में अपनी डायस पर खड़ी तक नहीं हो सकी। कई दफा यही स्थिती शहर सरकार के सिपहे सलाहकारों की रही। उनकी ओर से निगम के अधिकारियों को जवाब देने के लिए खड़े होना पड़ा। इसी पटकथा के बाद 41वें पार्षद की चर्चा शुरू हुई।