NEW DELHI. सोमवार को कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी आईएनएस वागीर को भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया. नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार की उपस्थिति में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड निर्मित आईएनएस वागीर को कमीशन किया गया है. कलवरी श्रेणी की यह पनडुब्बी भारतीय नौसेना को और ताकत देकर उसकी क्षमता को बढ़ावा देने का काम करेगी. दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए यह पनडुब्बी खुफिया, निगरानी और टोही काम भी करती है.
गौरतलब है कि ‘वागीर’ का अर्थ सैंड शार्क है, जो किसी को भनक दिए बिना चुपके और निडरता से काम करती है. दुनिया के बेहतरीन सेंसर से लैस वागीर के हथियार पैकेज में वायर गाइडेड टॉरपीडो और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें शामिल हैं, जो दुश्मन के बड़े से बड़े नौसैनिक बेड़े तक को मात दे सकती है.
नौसेना ने कहा कि पनडुब्बी में विशेष अभियानों के लिए समुद्री कमांडो को लांच करने की क्षमता भी है, जबकि इसके शक्तिशाली डीजल इंजन गुप्त मिशन के लिए बैटरी को जल्दी से चार्ज कर सकते हैं. नौसेना ने बताया कि आत्मरक्षा के लिए इसमें अत्याधुनिक टारपीडो डिकॉय सिस्टम है. हिंद महासागर में चीनी नौसेना की बढ़ती उपस्थिति के बीच आईएनएस वगीर को शामिल किया गया है. कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों को नौसेना में शामिल करने के काम को टाइम बाउंड फ्रेम में अंजाम दिया जा रहा है.
आईएनएस वागीर कलवारी क्लास की पांचवी पनडुब्बी है और इसमें कई बड़ी मिसाइल रखी जा सकती है. इसका रडार सिस्टम दुनिया से सबसे बेहतरीन में से एक है और इसकी स्पीड भी अच्छी मानी गई है. 67 मीटर लंबी यह पनडुब्बी पानी के ऊपर 20 किमी और पानी के अंदर 40 किमी की स्पीड से चल सकती है.इसमें एक साथ 50 से अधिक नौसेना के जवान और अधिकारी कोई भी मिशन में शामिल हो सकते हैं.
गौरतलब है कि इस साल के अंत तक ऐसी छठी और अंतिम पनडुब्बी नौसेना को मिल जाएगी. पिछली वागीर पनडुब्बी ने भारतीय नौसेना में करीब तीन दशकों तक सेवाएं दी जिसके बाद बाद 07 जनवरी 2001 को इसे सेवामुक्त किया गया. पुरानी वागीर को 01 नवंबर 1973 को कमीशन किया गया था और इसने निवारक गश्त सहित कई परिचालन मिशन संचालित किए. इसके बाद नई वागीर श्रेणी की पनडुब्बियों को भारतीय नौसैनिक बेड़े में शामिल करने का आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम शुरू हुआ.
12 नवंबर 20 को लांच की गई नई वागीर पनडुब्बी को अब तक की सभी स्वदेशी निर्मित पनडुब्बियों में सबसे कम निर्माण समय में पूरा होने का गौरव प्राप्त है. समुद्री परीक्षणों की शुरुआत करते हुए इसने 22 फरवरी को अपनी पहली समुद्री यात्रा की. कमीशन से पहले यह व्यापक स्वीकृति जांच और सख्त व चुनौती वाले समुद्री परीक्षणों की एक श्रृंखला से गुजरी है.