Tirandaj.com. चीन बढ़ती कोरोना मौतों के आंकड़ों के बाद अंतिम संस्कार के लिए श्मशान गृहों और कबिस्तानों में कई-कई हफ्तों की लाइन लग रही है. ऐसे में शी जिनपिंग प्रशासन ने कोरोना लाशों को ठिकाने लगाने की नई तकनीक से जुड़ी योजना पर काम शुरू किया है. प्रायोगिक तौर पर इस तकनीक को वुहान शहर में आजमाया जा रहा है, जहां से कोरोना महामारी की शुरुआत हुई थी. चीन और सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बारे में फर्स्ट हैंड जानकारियां देने वाली जेनिफर जेंग ने इसका खुलासा किया है. इस तकनीक में लाशों को तरल नाइट्रोजन में माइनस 196 डिग्री पर जमाया जाता है और फिर उन्हें पाउडर में बदल दिया जाता है. मृतक के परंपरागत दाह संस्कार की तुलना में यह प्रक्रिया बहुत तेज गति से पूरी होती है.
स्पेनिस-आयरिश कंपनी कर चुकी हैं तकनीक का इस्तेमाल
2016 में एक स्वीडिश और एक आयरिश कंपनी अंतिम संस्कार के नए-नए विकल्पों पर काम कर रही थी. उन दिनों अंतिम संस्कार से जुड़ी इस विवादास्पद तकनीक में मृत शरीर को जमाने और फिर चूर-चूर करने के लिए तरल नाइट्रोजन का उपयोग किया जाता है. तकनीक को प्रॉमिशन नाम दिया गया था, जिसमें मृत शरीर को एक कस्टमाइज्ड मशीन में डालते थे. फिर मशीन लाश के भीतर मौजूद पानी को वाष्प बना देती है. फिर तरल नाइट्रोजन के जरिये लाश को फ्रीज करने के बाद उसे चूर-चूर यानी पाउडर बना दिया जाता है. यही नहीं, मृत शरीर का पाउडर लगभग एक साल मिट्टी बन जाता था.
अंतिम संस्कार को पल भर में देती है अंजाम
लाश को फ्रीज कर सुखाने की तकनीक प्रॉमिशन में प्रोमेटर नामक एक प्रणाली शामिल रहती है, जिसमें मृत शरीर शून्य से 18 डिग्री सेल्सियस तक जम जाता है. फिर इसे तरल नाइट्रोजन में डूबाया जाता है और शरीर फिर भी जमा रहता है क्योंकि तरल नाइट्रोजन हानिरहित गैस में वाष्पित हो चुकी होती है. फिर इस जमे मृत शरीर को कंपन प्रक्रिया के जरिये कार्बनिक पाउडर में बदल दिया जाता है. जाहिर है चीन अब इसी तकनीक का इस्तेमाल कोरोना से मरने वाले लोगों के अंतिम संस्कार में कर रहा है. गौरतलब है कि सख्त जीरो कोविड पॉलिसी के खिलाफ आम जनता के विरोध के दबाव में जिनपिंग प्रशासन ने तेजी से कोरोना प्रतिबंधों में ढील देनी शुरू कर दी. परिणामस्वरूप कोरोना मामलों में न सिर्फ तेज उछाल आया, बल्कि मृतक संख्या भी दसियों हजार रोजाना तक पहुंच चुकी है.
हॉलीवुड फिल्म डिमोलिशन मैन में दिखाई गई थी तकनीक
गौरतलब है कि बीती सदी में 90 के दशक में एक हॉलीवुड फिल्म आई थी ‘डिमोलिशन मैन’, जिसमें सिल्वेस्टर स्टॉलन, वैस्ली स्नाइप्स और सैंड्रा बुलक्स ने केंद्रीय भूमिका निभाई थीं. इस विज्ञान फंतासी फिल्म में दुर्दांत अपराधी साइमन फीनिक्स के बंधकों को छुड़ाने के नाकाम अभियान के बाद पुलिस अधिकारी जॉन स्पार्टन भी कठघरे में आ जाता है. बतौर सजा साइमन फीनिक्स और जॉन स्पार्टन को क्राइजोनिक फ्रीज करने की सजा सुनाई जाती है. यानी उन्हें तरल नाइट्रोजन में कई सौ माइनस डिग्री तापमान पर फ्रीज कर दिया जाता है. क्लाइमेक्स में जॉन साइमन को मारने के लिए इसी तरल नाइट्रोजन का इस्तेमाल करता है. पहले जॉन साइमन को फ्रीज करता है, फिर उसके फ्रीज पुतले को चूर-चूर कर देता है. अब इसी तकनीक का इस्तेमाल चीन कर रहा है, क्योंकि बढ़ती कोरोना मौतों के अंतिम संस्कार के लिए श्मशान गृहों और कबिस्तानों में कई-कई हफ्तों की लाइन लग रही है.