तीरंदाज, दंतेवाड़ा। यहां के एक सार्वजनिक गणेशोत्सव के दौरान भगवान गणेश की पौराणिक आरती पर सवाल बेटियों ने ऐसा सवाल उठाया कि पुजारी को आरती के शब्द ही बदलने पड़े। बेटियों का सवाल ही ऐसा था कि पुजारी भी इसका कोई तर्क नहीं दे सके। वहीं पंडाल में मौजूद लोग भी इसे लेकर बेटियो का समर्थन करते दिखे। फिर क्या था पुजारी ने शब्द बदले और अब वहां बदले शब्द से ही आरती की जा रही है।
बता दें इन दिनों छत्तीसगढ़ समेत देशभर में गणेशोत्सव की धूम मची हुई है। प्रदेश के कई हिस्सों में तरह-तरह के भगवान गणेश की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। लोग शाम सुबह बड़े ही भाव से गणेश जी आरती करते हैं। इस बीच दंतेवाड़ा जिले बचेली में भगवान गणेश की पौराणिक आरती पर बेटियों ने सवाल उठाया। बेटियों ने आरती की एक लाइन पर अपनी आपत्ति जताई। इसके बाद पुजारी को आरती की उस लाइन को बदलनी पड़ी।
“बांझन को पुत्र देत” पर जताई आपत्ति
भगवान गणेश की आरती जय गणेश-जय गणेश-जय गणेश देवा की एक लाइन में गाया जाता है कि “अधंन को आंख देत कोड़िन को काया, बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया। बांझन को पुत्र देत वाली लाइन में बेटियों यह कहकर सवाल उठाया कि पुत्र की क्यों पुत्री क्यों नहीं। बेटियो के इस सवाल का पुजारी भी कोई जवाब नहीं दे सके। पौराणिक काल से चली आ रही गणेश आरती की उस लाइन से यह पता चलता है कि लेखक ने सैकड़ों वर्ष पहले भी पुत्र व पुत्री में भेद किया इसलिए पुत्र शब्द को चुना।
पुजारी को बदलने पड़े वह शब्द
यह गणेश उत्सव दंतेवाड़ा के बचेली स्थित बैंक कॉलोनी का है। यहां के रहने वाले पंडित वेदप्रकाश पांडे गणेश पंडाल में आरती कर रहे थे। आरती में यहां की कुछ लड़कियां भी शामिल हुई। आरती के बाद बेटियों ने पुजारी से पूछा कि बांझन को पुत्र देत शब्द का ही प्रयोग क्यों किया जाता है? पुत्र की जगह पुत्री क्यों नहीं। इसके बाद पुजारी ने ‘बांझन को पुत्र देत’ शब्द को बेटियों की मांग पर बदल दिया। इसकी जगह बांझन की गोद भरे शब्द का प्रयोग किया है। इसके साथ पुजारी ने लोगों से भी आरती में इसी शब्द का प्रयोग करने की अपील भी की।
बेटियों की बातें भी तर्कसंगत दिखी
आरती के उक्त शब्द पर सवाल उठाने पर पुजारी ने उनकी बातों पर गौर किया। पुजारी को भी बेटियों की बातें तर्कसंगत लगी। इसबात को ध्यान में रखते हुए पंडित वेदप्रकाश पांडे ने शब्दों को परिवर्तित करते हुए गोद भरे शब्द के प्रयोग करने पर अपनी सहमति दी और सभी से आरती में ऐसा ही उच्चारण करने को कहा। पंडित वेदप्रकाश पांडे ने आम लोगों से अपील भी है कि लोगों को बांझन को पुत्र देत शब्द के जगह बांझन की गोद भरे शब्द का प्रयोग करना चाहिए।
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