रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज अपने बजट में पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की घोषणा कर दी। इस घोषणा के बाद सरकारी कर्मचारियों की बांछें खिल गईं हैं। नई पेंशन योजना के लागू होने के बाद से ही कर्मचारी संगठन लगातार इसका विरोध कर रहे थे। अब जब सरकार ने पुरानी पेंशन योजना लागू कर दी है तो सभी खुश हैं और जश्न मना रहे हैं।
मंगलवार को विधानसभा में अपने बजट भाषण के दौरान सीएम भूपेश बघेल ने पुरानी पेंशन योजना को दोबारा लागू करने की घोषणा कर दी। इसके बाद सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों में जश्न का माहौल है। कर्मचारी एवं अधिकारियों के लिए मुख्यमंत्री की यह घोषणा होली और दीवाली जैसी खुशियां लेकर आई। आइए जानते हैं आखिर नई व पुरानी पेंशन योजना में क्या अंतर है।
2004 में वाजपेयी सरकार ने लागू की थी नई पेंशन योजना
नई पेंशन योजना एक अप्रैल 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने लागू की थी। इस योजना से उस समय डिफेंस सर्विसेज को अलग रखा गया था। एक अप्रैल 2004 के बाद सरकारी सेवा ज्वाइन करने वाले कर्मचारियों को नई पेंशन योजना का लाभ दिया जा रहा है। सरकार ने केवल केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए इसे लागू किया था। लेकिन धीरे-धीरे छत्तीसगढ़ सहित अधिकतर राज्यों ने भी अपने यहां नई पेंशन स्कीम लागू कर दी। कर्मचारी संगठन इसका लगातार विरोध कर रहे थे।
यह है पुरानी पेंशन योजना का फायदा
पुरानी पेंशन योजना लागू होने के बाद कर्मचारियों को कई फायदे होंगे। हालांकि इससे सरकार पर वित्तीय भार बढ़ेगा। पेंशन योजना में आने वाले कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद पूरी रकम मिलने के बाद बेसिक सैलेरी का करीब-करीब 50 फीसदी हिस्सा पेंशन के तौर पर मिलेगा। इसके अलावा राज्य कर्मचारियों पर प्रति वर्ष लागू होने वाले इंक्रीमेट का फायदा भी मिलेगा।
जानें क्या है पुरानी व नई पेंशन स्कीम में अंतर
– पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी की सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी। वहीं नई पेंशन स्कीम में कर्मचारी की सैलरी से 10 फीसदी की कटौती की जाती है। इसमें 14 फीसदी हिस्सा सरकार मिलाती है।
– पुरानी पेंशन योजना में रिटायर्ड कर्मचारियों को सरकारी कोष से पेंशन का भुगतान किया जाता था। वहीं नई पेंशन योजना शेयर बाजार आधारित है और इसका भुगतान बाजार पर निर्भर करता है।
– पुरानी पेंशन योजना में जीपीएफ की सुविधा होती थी, लेकिन नई स्कीम में जीपीएफ की सुविधा नहीं है।
– पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के समय की सैलरी की करीब आधी राशि पेंशन के रूप में मिलती थी। जबकि नई पेंशन स्कीम में निश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं है।