तीरंदाज डेस्क। विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस पार्टी बेहद कमजोर साबित हुआ है। पांच राज्यों के चुनावी रुझान में कांग्रेस की हार को लेकर पार्टी के नाराज नेता सवाल उठा रहे हैं। जी-23 मंथन कर रहा है। असंतुष्ट नेताओं के इस समूह से जुड़े पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी ने चुनाव परिणाम और रुझानों के लिए सीधे राहुल गांधी से सवाल पूछने को कहा है। बातचीत में मनीष तिवारी ने कहा कि कांग्रेस की इस हालत का जवाब राहुल गांधी ही देंगे।
कांग्रेस के कई कद्दावर नेताओं के जी-23 ग्रुप से जुड़े पंजाब के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी कांग्रेस की रणनीतियों से खासे खफा हैं। परिणामों के बीच में मनीष तिवारी का दो टूक जवाब था कि यह सवाल राहुल गांधी से किया जाना चाहिए। तिवारी ने कहा कि कांग्रेस के इस प्रदर्शन पर राहुल गांधी जवाब देंगे। पार्टी की नीतियों से खफा तिवारी की तल्खी अभी भी बरकरार है।
..फिर भी नहीं बनाया स्टार प्रचारक
दरअसल मनीष तिवारी को सांसद होने के बाद भी पंजाब में पार्टी का स्टार प्रचारक तक नहीं बनाया था। पंजाब ही नहीं बल्कि जिन पांच राज्यों में चुनाव हुआ वहां कांग्रेस का लचर प्रदर्शन रहा। दरअसल कांग्रेस के नाराज नेता लगातार पार्टी की नीति रणनीति और नेतृत्व पर सवाल उठाते रहे हैं। अब जब पांच राज्यों के चुनाव परिणाम कांग्रेस की अपेक्षा के अनुरूप नहीं आए हैं तो निश्चित तौर पर कांग्रेस के नाराज नेताओं को बड़ा मौका मिला है।
नतीजों का पहले से अंदाजा था
कांग्रेस के जी-23 ग्रुप से जुड़े हुए एक और वरिष्ठ नेता का कहना है कि उनको तो पंजाब समेत अन्य राज्यों के परिणामों का पहले से ही अंदाजा था। उक्त नेता का कहना है कि जब तक पार्टी में चापलूस और नेतृत्व की आंखों में धूल झोंकने वाले लोगों को राइट टाइम नहीं किया जाता है तब तक पार्टी ऐसे ही बिखराव की ओर बढ़ती रहेगी। कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जी-23 से जुड़े नेताओं से हुई बातचीत के अनुसार यह था कि पंजाब में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो रही है और उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी की मेहनत बेकार जा रही है।
कद्दावर नेताओं को नजरअंदाज किया गया
जी-23 ग्रुप से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि पंजाब में कांग्रेस के कई कद्दावर नेताओं को दरकिनार कर जिस तरीके से टिकट वितरण किया गया और पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू का पूर्व मुख्यमंत्री रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच तू-तू मैं-मैं हुई, उससे पार्टी के कार्यकर्ताओं का न सिर्फ मनोबल टूटा बल्कि उनको दूसरे बेहतर विकल्प भी मिले। वो कहते हैं कि चुनाव के दौरान पंजाब से पार्टी के बड़े नेताओं का अलग हो जाना भी पार्टी नेतृत्व की कमजोरी रही।
नवजोत की हरकत से बड़ा नुकसान
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि नवजोत सिंह सिद्धू ने जिस तरीके से खुले तौर पर अपने मुख्यमंत्री और दूसरे नेताओं को आड़े हाथों लिया उससे भी पब्लिक के बीच में पार्टी के प्रति आस्था नहीं बढ़ी। उक्त नेताओं का कहना है कि सिर्फ पंजाब का ही यह हाल नहीं था बल्कि उत्तराखंड में भी लगातार अंदरूनी राजनीति के चलते कांग्रेस का हश्र बुरा हुआ।
यूपी में मैनेजमेंट ही बेहतर नहीं था
उत्तर प्रदेश को लेकर कांग्रेस के नाराज नेताओं का कहना है कि वहां पर तो मैनेजमेंट ही बेहतर नहीं था। कांग्रेस के एक नाराज वरिष्ठ नेता कहते हैं कि कांग्रेस ने जिस एजेंडे के तहत प्रदेश में टिकट बांटे थे उससे अंदाजा लग रहा था कि पार्टी वहां महज खानापूर्ति ही कर रही है।
(TNS)