तीरंदाज डेस्क। गृहमंत्री अमित शाह सहित भाजपा के बड़े नेताओं के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कराने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई। याचिकाकर्ता ने इन नेताओं पर चुनावी वादे पूरा न कर मुकरने का आरोप लगाया और इसके लिए इन पर धोखाधड़ी का केस दर्ज करने की मांग की। इस याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि राजनीतिक पार्टियों के चुनाव के दौरान जनता से लुभावने वादे करने से उनके खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता। कोर्ट ने कहा कि पार्टियों के चुनावी मैनिफैस्टो में लुभावने वादे कर उसे पूरा न कर सकने के खिलाफ केस दर्ज किए जाने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। न ही ऐसे वादों से मुकरने पर उनके खिलाफ कोई दंड का प्रावधान है।
2014 के चुनावी वादों से जुड़ा है मामला
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह व अन्य के खिलाफ याचिका कर्ता ने 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान किए गए वादों को लेकर केस दर्ज करने निचली अदालत में याचिका लगाई थी। उस दौरान अमित शाह भाजपा के राष्ट्रीय अध्ध्यक्ष थे। इस मामले में धोखाधड़ी आदि धाराओं में मुकदमा दर्ज करने से इनकार करने के निचली अदालत के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई।
याचिकाकर्ता का कहना था कि भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में अपने मैनिफैस्टो का पालन नहीं किया। न ही चुनाव में जनता के समक्ष दिए अपने चुनावी वादों को ही पूरा किया। ऐसे में लोगों से धोखा देने के लिए मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस दिनेश पाठक ने कहा कि भाजपा के 2014 के चुनाव में पार्टी अध्यक्ष रहे अमित शाह और अन्य के खिलाफ हाईकोर्ट ने कहा कि मुकदमा दर्ज न करने के निचली अदालत के आदेश में कोई गलती नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा कि लोक प्रतिनिधित्व एक्ट के तहत अपने वादों के लिए राजनीतिक पार्टियां जिम्मेदार नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि वादों को पूरा न कर सकने के खिलाफ कोई कानूनी प्रावधान नहीं है।