तीरंदाज डेस्क। देश में ऐसी भी जगह है जहां पूरा देश होली के रंग में डूबे रहते हैं, पर यहां के लोग खुद को इस जश्न से दूर रखते हैं। कोई शहर इस खुशी के रंग में डूबने से अपने को रोके रखते हैं, मगर यह बात सच है, और यह कहानी जुड़ी है वीरता की गाथा से..
यहां आश्चर्य की बात यह है कि इस त्योहार को ही यहां के लोग शुभ नहीं मानते, जबकि यूं तो लोग मानते हैं कि होली पर रंग खेलने की शुरुआत झांसी के एरच में हुई थी। कहते हैं कि होली के दिन ही झांसी में अंग्रेजों का फरमान पहुंचा था कि वे लक्ष्मीबाई के बेटे दामोदर राव को उनका उत्तराधिकारी नहीं मानते।
इस दिन को अशुभ दिन का ये भी एक कारण माना जाता है। इस फरमान से नाराज झांसी की रानी और वहां की जनता ने होली नहीं मनाई थी। आज भी झांसी में ऐसे लोग रहते हैं जो होली वाले दिन नहीं, बल्कि इसके अगले दिन इस इस पर्व को मनाते हैं।
झांसी का वह काला दिन…
इतिहास के अनुसार बता दें कि झांसी के लिए 21 नवंबर, 1853 को काला दिन था। झांसी के राजा गंगाधर राव की मृत्यु के बाद वहां के राज की कमान रानी लक्ष्मीबाई के हाथ में आ गई थी। अंग्रेजों से राज्य को बचाए रखना रानी के लिए चुनौती बन गई। गंगाधर राव ने उनकी मृत्यु से पहले ही एक बालक (दामोदर राव) को गोद लेकर अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। इधर अंग्रेजों ने इस सत्ता के हस्तांतरण को मानने से इनकार कर दिया तो रानी के लिए मुश्किल और बढ़ गई। जिस दिन झांसी में यह फरमान जारी किया गया वह होली का ही दिन था।
झांसी का इतिहास- एक किताब में पूरी घटनाएं
झांसी के इतिहास में जो भी घटनाएं हुई हैं। एक किताब में इसकी पूरी जानकारी है। ओम शंकर ‘असर’ नामक लेखक ने उन दिनों एक किताब लिखी थी। इस किताब का नाम ‘महारानी लक्ष्मीबाई और उनकी झांसी’ है। इस फरमान के तहत डलहौजी ने एक पत्र लिखा था- भारत सरकार की 7 मार्च 1854 की आज्ञा के अनुसार झांसी का राज्य ब्रिटिश इलाके में मिलाया जाता है। इस फरमान के जरिए लोगों को सूचना दी कि झांसी प्रदेश हमारे कब्जे में है। शासन मेजर एलिस के अधीन हो गया है। प्रजा अपने को ब्रिटिश सरकार के अधीन समझेॆ और मेजर एलिस को ‘कर’ दिया करें।
होली के दिन दुर्भाग्यपूर्ण घटना
इतिहास के मुताबिक झांसी गजेटियर में दर्ज दुर्भाग्यपूर्ण घटना ठीक होली के दिन घटी थी। इससे पूरा राज्य दुख में डूब गया था। स्थिति को देखते हुए रानी ने किला छोड़ा और दूसरे महल में चली गईं। अंग्रेजों का तुगलकी फरमान सुनाया गया। लोग शोक में डूब गए और होली नहीं मनाई गई। इसी गम में आज भी झांसी के कई लोग होली के दिन होली नहीं मनाते।
(TNS)