तीरंदाज, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में दुर्ग के फैमिली कोर्ट का आदेश खारिज कर युवती के पक्ष में निर्णय दिया है। दरअसल युवती भिलाई है और उसने 2016 में एक याचिका में अपने पिता की संपत्ति में से खुद के विवाह खर्च का अधिकार मांगा। इस मामले में 6 साल बाद हाईकोर्ट ने युवती के पक्ष में निर्णय दिया है।
हाईकोर्ट ने कहा है कि अविवाहित पुत्री को अपने विवाह का खर्च पिता से लेने का अधिकार है। हाईकोर्ट ने कहा है कि हिंदू दत्तक एवं भरण पोषण अधिनियम के अनुसार अविवाहित बेटी अपनी शादी में होने खर्च के लिए पिता पर दावा कर सकती है। इस मामले में जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय एस अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने दुर्ग फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज फिर से निर्णय लेने का आदेश दिया है।
भिलाई से जुड़ा है मामला
दरअसल यह पूरा मामला भिलाई से जुड़ा हुआ है। भिलाई स्टील प्लांट के सेवा निवृत्त कर्मी भानूराम की बेटी राजेश्वरी ने साल 2016 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। तब हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर उसे फैमिली कोर्ट में आवेदन प्रस्तुत करने कहा था। हाईकोर्ट के आदेश पर उसने दुर्ग के फैमिली कोर्ट में आवेदन प्रस्तुत किया, इसमें उसने खुद की शादी के लिए 25 लाख रुपए पिता को देने के निर्देश देने की मांग की थी। फैमिली कोर्ट ने 20 फरवरी 2016 को उसका आवेदन खारिज कर दिया था।
फैमिली कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद राजेश्वरी ने 2016 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की। युवती ने कोर्ट को बताया कि उसके पिता को रिटायर होने पर करीब 75 लाख रुपए मिले हैं। इसलिए उसकी शादी के खर्च के लिए उसे 25 लाख रुपए दिलाए जाए। इसी याचिका पर निर्णय करते हुए जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय एस अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने छह साल बाद अब युवती के पक्ष में हाईकोर्ट ने फैसला दिया है।
अविवाहित पुत्री को अधिकार है
हाईकोर्ट ने आदेश में कहा है कि पुत्रीअविवाहित है और अपने अभिभावकों पर आश्रित है। हिंदू दत्तक एवं भरण पोषण अधिनियम के अनुसार वह खुद के खर्च के लिए अभिभावकों पर दावा कर सकती है। उसे पूरा हक है कि पिता की संपत्ति में से अपनी शादी से लेकर अन्य खर्च के लिए दावा करें।