रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार का छत्तीसगढ़ का बजट पेश किया। इस दौरान उन्होंने एक विशेष पहल करते हुए गोबर की अटैची का इस्तेमाल किया। देश भर में यह पहला मौका है कि किसी राज्य के सीएम ने बजट के लिए गोबर से बने अटैची का इस्तेमाल किया हो। सीएम बघेल ने एक बार फिर प्रदेश के गोधन के बेहतर इस्तेमाल का उद्हारण पेश किया। आइए जानते हैं सीएम बघेल के इस खास अटैची की खा बातें।
मुख्यमंत्री ने बजट के लिए मां लक्ष्मी के प्रतीक के रूप में गो-धन से निर्मित ब्रीफकेस का इस्तेमाल किया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बजट पेश करने के लिए जिस ब्रीफकेस का इस्तेमाल किया वो चमड़े या जूट का नहीं होकर गोबर के बाई प्रोडक्ट से निर्मित है। इस अटैची को महिला स्व सहायता समूह की महिला नोमिन पाल ने बनाया है। इस ब्रीफकेस को गोबर के पाउडर से तैयार किया गया है।
10 दिनों की मेहनत से तैयार हुई गोबर की अटैची
राजधानी रायपुर के गोकुल धाम गोठान में काम करने वाली एक पहल महिला स्वसहायता समूह ने गोबर एवं अन्य उत्पादों के इस्तेमाल से इस ब्रीफकेस का निर्माण किया है। इस समूह को नोमिल पाल ने लीड किया। इस ब्रीफकेस की खास बात यह है कि इसे गोबर पाउडर, चुना पाउडर, मैदा लकड़ी एवं ग्वार गम के मिश्रण को परत दर परत लगाकर किया गया। इस अटैची को बनाने में 10 दिनों का समय लगा। ब्रीफकेस के हैंडल और कार्नर कोंडागांव शहर के समूह द्वारा बस्तर आर्ट कारीगर से तैयार करवाया गया।
छत्तीसगढ़ की मान्यता सदन में भी दिखी
छत्तीसगढ़ में यह मान्यता है कि गोबर मां लक्ष्मी का प्रतीक है। छत्तीसगढ़ के तीज त्यौहारों में घरों को गोबर से घर आंगन लीपने की लीपने की परंपरा रही है। इसी से प्रेरणा लेते हुए स्व सहायता समूद की दीदियों द्वारा गोमय ब्रीफकेस का निर्माण किया गया है ताकि मुख्यमंत्री के हाथों इस ब्रीफकेस से छत्तीसगढ़ के हर घर में बजट रूपी लक्ष्मी का प्रवेश हो और छत्तीसगढ़ का हर नागरिक आर्थिक रूप से सशक्त हो सके।
गोधन न्याय योजना की अलग ही पहचान
बता दें छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना की पहचान पूरे देश में है। किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि गोबर से कोई सामग्री भी तैयार की जा सकती है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गोबर को छत्तीसगढ़ की आर्थिक क्रांति के रूप में प्रस्तुत किया है। इसकी तारीफ प्रधानमंत्री और कृषि मामलों की संसदीय समिति भी कर चुकी है। राज्य के 2800 गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं जहां पशुपालक ग्रामीणों से गोबर खरीदी में पूंजी निवेश करने लगे हैं।