तीरंदाज डेस्क। उद्योगपति राहुल बजाज का शनिवार को पुणे में निधन हो गया। वो 83 वर्ष के थे। राहुल बजाज करीब 50 सालों तक बजाज ग्रुप के चेयरमैन रहे। उनका जन्म 10 जून 1938 को कोलकाता में मारवाड़ी व्यवसायी कमलनयन बजाज और सावित्री बजाज के घर हुआ था। आज हम आपको बता रहे हैं उनके जीवन के ऐसे अनछुए किस्से, जो आपका दिल जीत लेंगे। कैसे उन्होंने उस समय की शायद पहली लव मैरिज की। बजाज कंपनी को कैसे बुलंदी पर पहुंचाया। सरकार से मिले पुरस्कार और सम्मान….
1965 में संभाला था बजाज ग्रुप का जिम्मा
राहुल बजाज ने 1965 में बजाज ग्रुप की जिम्मेदारी संभाली थी। आज समूह की 40 से ज्यादा कंपनियां हैं। उनकी अगुआई में बजाज ऑटो का टर्नओवर 7.2 करोड़ से 12 हजार करोड़ तक पहुंच गया और यह स्कूटर बेचने वाली देश की अग्रणी कंपनी बन गई। वे 50 साल तक बजाज ग्रुप के चेयरमैन रहे। उन्होंने 2005 में राहुल ने बेटे राजीव को कंपनी की कमान सौंपनी शुरू की थी। तब उन्होंने राजीव को बजाज ऑटो का मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया था, जिसके बाद ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में कंपनी के प्रोडक्ट की मांग न सिर्फ घरेलू बाजार में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बढ़ गई।
ये पुरस्कार और सम्मान मिले
साल 2001 में उद्योग एवं व्यापार क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ‘नाइट ऑफ द नेशनल ऑर्डर ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर’ नामक फ्रांस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से भी नवाजा गया है। वे 2006 से 2010 के बीच राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके थे। 1979-80 और 1999-2000 में दो बार राहुल बजाज भारतीय उद्योग परिसंघ के अध्यक्ष चुने गए। भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति, प्रणब मुखर्जी ने उन्हें 2017 में लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए सीआईआई राष्ट्रपति पुरस्कार प्रदान किया।
इंदिरा गांधी से बोल दिया था जेल जाना पड़ा, तो जाऊंगा
साल 1972 में पिता के निधन के बाद राहुल ने बजाज ऑटो का काम संभाला। इस दशक में कंपनी ने बजाज सुपर और चेतक जैसे मॉडल बाजार में उतारकर सफलता पाई। इटली की कंपनी पियाजियो के लाइसेंस पर स्कूटर बनते थे, लेकिन कंपनी ने लाइसेंस को रीन्यू करने से इनकार कर दिया था। तब इंदिरा सरकार के लाइसेंस राज और प्रतिबंधों की वजह से उत्पदन सीमित था। लोगों को महीनों तक डिलीवरी के लिए इंतजार करना पड़ता था। ऐसे में राहुल ने सरकार की आलोचना करते हुए भारतीय स्कूटर बनाने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि वह लोगों की जरूरत का सामान बनाएंगे, इसके लिए सरकार अगर उन्हें जेल में डालती है, तो वे तैयार हैं। इसके बाद उनकी कंपनी पर छापे भी पड़े।
मराठी ब्राह्मण रुपा घोलप से की थी लव मैरिज
एक टीवी इंटरव्यू में राहुल बजाज ने बताया था कि उन्होंने अपने जीवन में जो मुकाम हासिल किया, उसका पूरा श्रेय उनकी पत्नी रुपा बजाज को जाता है। उन्होंने बताया कि 1961 में जब उनकी शादी मराठी ब्राह्मण परिवार की रुपा घोलप से हुई, तो वह उस दौर के सभी राजस्थानी मारवाड़ी उद्योग घरानों में होने वाली पहली ‘लव मैरिज’ थी। ऐसे में दोनों परिवारों के बीच तालमेल बैठाना थोड़ा मुश्किल था।
(TNS)