रायपुर। जिले में निजी अस्पतालों द्वारा नर्सिंग होम एक्ट को ताक पर रखकर अस्पताल संचालन किया जा रहा है। वहीं मरीजों के इलाज के दौरान अधिक बिल वसूली के शिकायतें भी सर्वाधिक हैं। इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग प्राइवेट अस्पतालों पर कार्रवाई ना कर उन्हें सह दे रहा है।
जिला स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार निजी अस्पतालों के खिलाफ पहुंचने वाले शिकायतों में करीब 60 फीसद शिकायतें सिर्फ अधिक राशि वसूली के ही सामने आयीं हैं। इधर इलाज में लापरवाही बरतने व अन्य शिकायतें 40 फीसद हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियाें का कहना है कि शिकायत मिलने पर तुंरत कार्रवाई की जा रही है। लेकिन दूसरी ओर देखें तो कई पीड़ितों को अब तक न्याय नहीं मिला है। कहा तो यह भी जा रहा है कि सर्वे के लिए पहुंचने वाले अधिकारी सांठगांठ कर मामले को रफा-दफा करने के प्रयास में होते हैं।
रायपुर की मुख्य जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. मीरा बघेल के अनुसार निजी अस्पतालों के खिलाफ सामने आने वाले ज्यादातार मामले अधिक बिल वसूली के ही हैं। पीड़ितों के शिकायतों के आधार पर कार्रवाई लगातार की जाती है। नर्सिंग होम एक्ट के तहत लगातार जांच करते रहते हैं। नियम के विरुद्ध कोई भी जाएगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
निजी अस्पतालाें के खिलाफ शिकायतें, 550 अस्पतालों का पंजीयन नहीं
स्वास्थ्य विभाग की जानकारी के मुताबिक इलाज में अधिक राशि वसूली के 60 फीसद शिकायतें आई है। इलाज में लापरवाही के 25 फीसद, धोखाधड़ी के 10 फीसद, सुरक्षा व्यवस्था में लापरवाही की पांच फीसद शिकायतें सामने आयीं हैं। बता दें कि जिले में 1250 से अधिक प्राइवेट अस्पताल व क्लीनिक हैं। इसमें से 550 से अधिक का पंजीयन अब तक नहीं किया गया है।
शहरों में करीब 60 फीसद मरीज प्राइवेट व ग्रामीण में 30 फीसद का इलाज
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक शहरों में करीब 60 फीसद मरीज निजी अस्पताल में इलाज कराते हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्रा में 30 फीसद तक मरीज निजी अस्पतालों में इलाज कराते हैं। शासकीय अस्पतालों में मरीजों के इलाज की स्थिति देखें तो प्रत्येक माह जिला अस्पताल अौसत 10882, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में औसत 21237, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में औसत43702 , उप स्वास्थ्य केंद्रों में औसत 58313 और शासकीय मेडिकल कालेज में औसत 50,000 मरीज ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचते हैं।