नई दिल्ली। देशभर में आज बुधवार 10 नवंबर को सूर्य पूजा छठ महापर्व है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला त्योहार है। चार दिनों तक चलने वाले छठ पर्व में आज डूबते सूर्य (setting sun) को अर्घ्य दी जाएगी। इसके साथ ही श्रद्धालु छठी मैया (Chhath maya) की आराधना करेंगे।
वैसे तो छठ पर्व (Chhath Puja) मुख्य रूप से उत्तर भारत (North India) के राज्यों में मनाया जाता है, लेकिन अब ये त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। छठ के पर्व में उगते हुए और डूबते हुए सूर्य दोनों को अर्घ्य देते हैं। छठ महापर्व में विशेष रूप भगवान सूर्य की पूजा की जाती है।
बेहद रहस्यमयी मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र
देशभर में भगवान सूर्य के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। सूर्य मंदिरों में सबसे पहले कोणार्क के सूर्य मंदिर का नाम लिया जाता है, लेकिन बिहार (Bihar) के औरंगाबाद (Aurangabad) जिले में एक सूर्य मंदिर (Sun Temple) स्थित है जो आस्था का केंद्र है। इसके साथ ही यह बेहद रहस्यमयी मंदिर है।
यहां होते हैं सूर्यदेव के तीनों रूपों का दर्शन
हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, इस प्राचीन सूर्य मंदिर का निर्माण (Construction) भगवान विश्वकर्मा (Lord Vishwakarma) ने एक रात में कर दिया था। यह भारत का पहला ऐसा सूर्य मंदिर है जिसका दरवाजा पश्चिम की तरफ है। इस मंदिर में भगवान सूर्य सात घोड़े वाले रथ (seven horse chariot) पर सवार हैं। इस मंदिर में भगवान सूर्य के तीनों रूपों उदयाचल-प्रात: सूर्य, मध्याचल- मध्य सूर्य और अस्ताचल -अस्त सूर्य के रूप में प्रतिमा स्थापित है। बताया जाता है कि छठ पूजा की शुरुआत यहीं से हुई थी।
सौ फीट ऊंचा मंदिर स्थापत्य और वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण
यह मंदिर करीब एक सौ फीट ऊंचा है। इसके अलावा यह मंदिर स्थापत्य और वास्तुकला (architecture) का बेहतरीन उदाहरण है। बताया जाता है कि डेढ़ लाख साल पहले इस मंदिर का निर्माण किया गया था। आज भी यह रहस्य (Mystery) है कि यह मंदिर एक रात में कैसे बन गया और पश्चिम की तरफ मुख का होकर भी भगवान सूर्य के दर्शन कैसे होते हैं।
यह प्राचीन सूर्य मंदिर अपने इतिहास के लिए भी देशभर में प्रसिद्ध है। डेढ़ लाख वर्ष पुराना यह सूर्य मंदिर औरंगाबाद से करीब 18 किलोमिटर दूर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण काले और भूरे पत्थरों से किया गया है।
ब्राह्मी लिपि में एक श्लोक में पूरा रहस्य
मंदिर के बाहर एक शिलालेख पर ब्राह्मी लिपि (brahmi script) में एक श्लोक लिखा गया है। इस मंदिर का निर्माण त्रेता युग में किया गया था। शिलालेख पर लिखे श्लोक के मुताबिक, इस पौराणिक मंदिर के निर्माण को 1 लाख 50 हजार 19 वर्ष पूरे हो चुके हैं।
(TNS)