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रायपुर। नाना भाँति निछावरि करहीं। परमानंद हरष उर भरहीं। कौसल्या पुनि पुनि रघुबीरहि। चितवति कृपासिंधु रनधीरहि।। अर्थात… माताएं अनेकों प्रकार से निछावरें करती हैं और हृदय से परम आनंद एवं हर्ष भरी हुईं हैं। कौसल्याजी बार-बार कृपा के समुद्र और रणधीर श्री रघुवीर को आश्चर्य से एकटक देख रहीं हैं। …ये वह दृश्य है जब... Read More