रायपुर। छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स ने केंद्रीय वित्त मंत्री को पत्र लिखकर कपड़ों पर जीएसटी की दर पांच फीसद ही बनाए रखने का अनुरोध किया है। चेंबर अध्यक्ष अमर परावानी ने कहा है कि कपड़े पर टैक्स बढ़ाने के सरकार के फैसले से पूरा कपड़ा व्यापार और उद्योग सदमे में है। कृषि के बाद दूसरा सबसे ज्यादा राजस्व सरकार को इसी से मिलता है।
कोरोना महामारी से कपड़ा व्यापार बहुत बुरी तरह प्रभावित हुआ था और अभी भी अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है। ऐसी परिस्थितियों में टेक्सटाइल पर टैक्स की दरों में बढ़ोतरी किए जाने से इस सेक्टर को एक और बहुत बड़ा झटका लगेगा। उन्होंने कहा कि भोजन, कपड़ा, मकान, शिक्षा और स्वास्थ्य मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताएं हैं। कृषि, स्वास्थ्य और शिक्षा पर कोई कर नहीं है, आवासीय घरों पर सरकार सब्सिडी प्रदान कर रही है और टैक्स की दर एक से पांच फीसद है।
इसी तरह से कपड़ा भी लोगों की एक बुनियादी जरूरत की वस्तु है। इसलिए कपड़ा व्यापार पर 12 फीसद कर लगाना उचित नहीं है। पारवानी ने बताया कि कई वर्षों तक कपड़ों पर कोई टैक्स नहीं लगता था। यह न केवल अंतिम उपयोगकर्ता पर वित्तीय बोझ बढ़ाएगा, बल्कि छोटे व्यवसायियों को भी बुरी तरह प्रभावित करेगा और कर चोरी और विभिन्न कदाचार को प्रोत्साहित करेगा।
इसके अलावा ही जो माल व्यवसायियों के स्टाक में पड़ा है, जब एमआरपी पर बेचा जाएगा तो उसका सात प्रतिशत अतिरिक्त भार व्यवसायियों पर पड़ेगा। पहले से ही कपड़ा उद्योग वियतनाम, इंडोनेशिया, बांग्लादेश और चीन जैसे देशों के साथ सक्षम स्थिति में नहीं है। लिहाजा, वित्त मंत्री से अनुरोध है कि वह इस पर कर पूर्ववत ही रखें।