BILASPUR NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कोरबा जिले में बढ़ते प्रदूषण और लगातार हो रहे हादसों पर गंभीर नाराजगी जताई है। मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति ए.के. प्रसाद की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि उद्योगों और ट्रांसपोर्ट कंपनियों की लापरवाही से जनता को रोज़ जहरीली हवा में सांस लेनी पड़ रही है।
बता दें, इस मामले में कोर्ट कमिश्नर रवींद्र शर्मा ने अपनी रिपोर्ट दी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरबा जिले में भारी वाहनों का भारी दबाव है। जिसके चलते सड़कों पर गड्ढे हो गए हैं, जो हादसों का प्रमुख कारण है। अवैध पार्किंग और उड़ती राख के कारण स्थानीय नागरिकों का जीवन प्रभावित हो रहा है।
कोरबा का खनन क्षेत्र अब धूल और धुएं का शहर बन चुका है। कारखानों की चिमनिया शहर के बीचोंबीच हैं। जिससे वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक सीमा तक पहुंच गया है। उड़ती राख और कोयले के डस्ट से विजिबिलिटी घटती है। नागरिकों की शिकायतों के बाद स्थायी समाधान नहीं हो सका है।
याचिका में बताया गया कि कोरबा क्षेत्र में कोयला परिवहन के दौरान उड़ती राख और डस्ट की वजह से लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। सड़कों पर धूल की मोटी परत जमने से विजिबिलिटी भी घट रही है, जिससे हादसों का खतरा बढ़ गया है।
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस पर सख्त टिप्पणी करते हुए पूछा कि प्रशासन और परिवहन विभाग अब तक क्या कदम उठा रहे हैं। साथ ही, कोल हैंडलिंग और फ्लाई ऐश डंपिंग की मौजूदा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
अदालत ने जिले के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, परिवहन विभाग और उद्योग प्रबंधन मिलकर कोरबा की सड़कों की सफाई और डस्ट कंट्रोल के ठोस उपाय सुनिश्चित करें।