NEW DELHI NEWS. अब आपके फोन के हैक होने और साइबर अपराधियों के हाथों ठगे जाने की आशंका जल्द खत्म होने वाली है। बेंगलुरु के रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरआरआई) और भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएस) के वैज्ञानिकों ने कहा है कि अगले 2-3 वर्षों में उनकी बनाई एक टेक्नोलॉजी से ओटीपी हैकिंग बंद हो जाएगी।उनकी टेक्नोलॉजी क्वांटम फिजिक्स पर आधारित है। यह नई तकनीक बैंकिंग, डिफेंस और अन्य सेक्टरो में कम्युनिकेशन को ज्यादा सुरक्षित बनाने में बड़ा बदलाव ला सकती है।
आरआरआई की क्वांटम इंफॉर्मेशन और कम्प्यूटिंग (क्यूआईसी) लैब की प्रमुख प्रोफेसर उर्बसी सिन्हा के मुताबिक मोबाइल के काम करने का तरीका, ओटीपी बनाने का तरीका, डिवाइस तकनीक- ये सब इस नई प्रक्रिया से बदल जाएगा। इसे डिवाइस-इंडिपेंडेंट रैंडम नंबर जनरेशन कहते हैं। दरअसल, क्वांटम फिजिक्स पर आधारित इस तकनीक का लैबोरेटरी में सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है और अब बस इसे लॉन्च किया जाना है।
आईआईएस के हाई एनर्जी फिजिक्स सेंटर की प्रोफेसर अनिंदा सिन्हा के मुताबिक, मौजूदा प्रोटोटाइप अभी पोर्टेबल नहीं है। ये एक ऑप्टिकल टेबल पर है, जिसके लिए सटीक नियंत्रण की जरूरत होती है। क्यूसिन टेक नाम के स्टार्टअप के माध्यम से हमारा लक्ष्य इसे एक ऐसे बॉक्स में फिट करना है जिसे कहीं भी ले जाया और इंस्टॉल किया जा सके। यह डिवाइस गीगाबिट प्रति सेकंड के टार्गेट रेट से क्वांटम रैंडम बिट्स जनरेट करेगा।
जानकारों के मुताबिक हम रेफ्रिजरेटर का इस्तेमाल हमेशा नहीं करते क्योंकि हम जानते हैं कि समय के साथ इसकी काम करेने की क्षमता कम होती जाती है और आखिरकार हमें इसे बदलना पड़ता है। यही बात वर्तमान रैंडम नंबर जनरेटर के साथ भी लागू होती है। कोई भी उपकरण पूरी तरह सुरक्षित नहीं होता, चाहे वह कितना भी उन्नत स्तर का क्यों न हो।
इसमें कुछ उपकरण से जुड़ी खामियां होती हैं। जैसे-जैसे उपकरण पुराना होता जाता है, यह खराब भी होता जाता है, और कुछ लोग छोटी-छोटी खामियों का फायदा उठाकर हमला कर सकते हैं। इसलिए हम इसे ऐसी तकनीक से बदलना चाहते हैं जो उपकरण-आधारित समस्याओं से मुक्त हो।