भिलाई। बस्तर के घने जंगलों को चीरती बम-बंदूकों की आवाजों के बीच किसी अनछुई कहानियों का शब्दों में पिरो जाना, कहीं न कहीं सुरक्षा में तैनात रौबदार वर्दी के पीछे के अनछुए पहलु, जवानों का संघर्ष, उनकी पीड़ा एक पुस्तक के रूप में सामने आना वरिष्ठ पत्रकार कोमल पुरोहित धनेसर की मर्मस्पर्शी भावना को उजागर करती है।
छत्तीसगढ़ के बस्तर का क्षेत्र पौराणिक काल से ही विद्वान हो या आम लोग सभी के लिए कौतुहल का विषय रहा है। ऐसे में दो दशक पहले जब पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने की महिलाएं सोचती तक नहीं थीं, उस दौर में घने जंगल, पहाड़ी और वहां रहने वालों की अलग दुनियां तक कोमल का पहुंचना बड़ी हिम्मत और साहस भरा काम था।
करीब से समझी जिंदगी
कोमल को एक राष्ट्रीय अखबार के भिलाई संस्करण में बतौर रिपोर्टर अर्धसैनिक बलों के मुख्यालयों से अग्रिम चौकी तक जाने का मौका मिला। रूटीन की खबरों के साथ अक्सर बातों-बातों में उन रौबदार वर्दी के पीछे की कुछ अनछुई कहानियां सामने आने लगीं। देश की सरहदों से लेकर छत्तीसगढ़ के जंगलों में नक्सलियों को जीवन की मुख्यधारा से जोड़ने जंगलों का खाक छानने वाले बटालियनों के जवानों की जिंदगी को करीब से समझा।
यहां ऐसे उमड़ती हैं भावनाएं
इस दौरान किसी के मजेदार किस्से तो, किसी के दिल छू लेने वाले वाकए.., तो कभी फोर्स के अंदर हीं विवाह में बंधने की खुशियां …तो कभी अधिकारी और जवानों के परस्पर भाईचारे की भावनाओँ को समझा। तभी इस कलमकार के मन में आया कि क्यों न उनके इन अनछुए पहलुओं को शब्दों में ढालकर कहानी में पिरोया जाए।
ऐसे मिली प्रेरणा
आगे का सफल एक मार्गदर्शक के साथ शुरू हुआ, जिनकी प्रेरणा एक पुस्तक के रूप में सामने आई। एक न्यूज के सिलसिले में डिप्टी कमांडेंट चिकित्सा अधिकारी डॉ. तारकेश्वर नाथ से मुलाकात हुई। डॉ. नाथ जितने अनुभवी चिकित्सक हैं उतनी ही अच्छी उनकी लेखनी भी, जिनसे कई ऐसे किस्से सुनने को मिले कि दिल छू गया। डॉ. नाथ ने इन किस्सों को कहानियों में पिरोने की प्रेरणा दी ..और फिर शुरू हुआ सफर ‘विशिष्ट पराग’ का..। एक रिपोर्टर और एक पैरामिलिट्री फोर्स के ऑफिसर बहन-भाई की जोड़ी की कलम से निकली इस किताब में उकेरी कहानियां।
कहानी के किरदार में खुद को पाएंगे
इस किताब को पढऩे पर अंतिम पोस्ट से लेकर मुख्यालय तक रहने वाले बल के सभी सदस्य इन कहानियों के किरदारों में खुद को पाएंगे। किताब में आपको हिन्दी के अलावा अंगेजी के कुछ शब्द के साथ फौजियों के टेक्निकल भाषा के भी कुछ शब्द मिलेंगे। यह किताब एक आम नागरिक को फौज को करीब से जानने का भरपूर मौका देगी। बाकी किताबों से अलग इसमें हर तरह की भावनाओं से परिपूर्ण कहानियां मिलेंगी और एक फौजी को इसमें वह अपनापन मिलेगा, जो फोर्स की पहचान है.. मतलब भाईचारा और एक-दूसरे के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा…।
वरिष्ठ पत्रकार कोमल पुरोहित धनेसर की प्रथम किताब ‘विशिष्ट पराग’ के प्रकाशन व विमोचन पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खुशी जाहिर करते हुए उन्हें शुभकामना दी। इस दौरान कोमल ने 23 साल की पत्रकारिता के प्रारंभिक दिनों को याद किया। बताया कि दो दशक पहले वह किस तरह इस साहसिक और लगातार मेहनत भरे क्षेत्र में पत्रकारिता की शुरुआत की।
(TNS)