JHANSI/LALITPUR NEWS. मुकदमा दर्ज होने और अस्पताल सीज होने के बाद जहर खाने पर संचालक प्रदीप पाठक की मौत हो गई।फिलहाल पुलिस ने अस्पताल संचालक के शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। परिजनों और सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों द्वारा पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की जा रही है।
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गौरतलब है कि ललितपुर के जिला महिला अस्पताल में सक्रिय दलाल व एक निजी अस्पताल संचालक की वजह से प्रसूता की मौत हो गई थी। प्रसूता के परिजन की शिकायत पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था। जिला प्रशासन ने मामले की जांच कर निजी अस्पताल को सीज कर दिया था। इससे अस्पताल संचालक अवसाद में था। इसके चलते उसने जहर खा लिया था। इस पर उसे मेडीकल कॉलेज में भर्ती कर लिया गया था। यहां उसकी उपचार के दौरान मौत हाे गई।
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शिकायतकर्ता ललितपुर के मोहल्ला आजादपुरा निवासी प्रसूता मालती सोनी के पति नवीन सोनी के अनुसार वह गर्भवती पत्नी को जिला महिला अस्पताल में भर्ती कराने लाया था। ओपीडी में महिला चिकित्सक ने जांच के बाद भर्ती करने के लिए लिखा था। इसके बाद दूसरी महिला चिकित्सक ने उसकी पत्नी का उपचार शुरू नहीं किया और शर्त रखी कि उसके साथ मौजूद महिला के खिलाफ 5 हजार रुपये मांगने का आरोप लगाकर शिकायत पत्र दे, तभी वह उसकी पत्नी का उपचार करेगी। इस पर नवीन ने ऐसा प्रार्थना पत्र देने से इंकार कर दिया था। इस दौरान हो रही देरी की वजह से उसकी पत्नी की तबियत बिगड़ने लगी और मजबूरन उसे पत्नी के उपचार के लिए इलाइट चौराहा स्थित अस्पताल ले जाना पड़ा।
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इलाइट चौराहा अस्पताल में 10 हजार रुपये जमा कराने के बाद पत्नी को भर्ती कर लिया गया। यहां झांसी के गुमनावारा निवासी अस्पताल संचालक प्रदीप पाठक आये और उसकी पत्नी को बेहोशी का इंजक्शन लगा दिया। आरोप लगाया कि डोज अधिक होने पर पत्नी व गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत हो गई। इस मामले में संचालक प्रदीप पाठक व अन्य महिलाओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।
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मुकदमा दर्ज होने के बाद अस्पताल संचालक प्रदीप पाठक अवसाद में आ गया और जहर का सेवन कर लिया। जिससे उसकी हालत बिगड़ गई। जिस पर परिजन मेडीकल कॉलेज ले गए। उपचार के दौरान उसकी हालत बिगड़ती चली गई। मेडीकल कॉलेज के आईसीयू में उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। यहां परिजनों का आरोप है कि प्रदीप को गलत तरीके से फंसाया गया। जिससे वह अवसाद में रहने लगा। आखिर उसने जहर खा लिया। फिलहाल पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। अस्पताल संचालक की मौत की खबर सुनते ही सोशल मीडिया पर मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की जा रही है।
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यह था घटनाक्रम
बताते चले कि 1 मार्च शनिवार दिनभर के घटनाक्रम के बाद शाम को परिजन वापस मेडीकल कॉलेज की इमरजेंसी में प्रसूता को लेकर पहुंचे। यहां चिकित्कों ने प्रसूता को मृत घोषित कर दिया। जिस पर परिजन और उनके साथियों ने मेडीकल कॉलेज की महिला चिकित्सक पर सीजर न करने का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया था। देर रात वह कार्रवाई की मांग को लेकर प्रसूता के शव को अस्पताल परिसर में रखकर नारेबाजी करते हुए जोरदार प्रदर्शन करते रहे। परिजनों के प्रदर्शन के बाद प्रशासन व मेडीकल कॉलेज के प्राचार्य मौके पर पहुंच गए। इसके बाद प्राचार्य ने लापरवाह चिकित्सक को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए 3 सदस्यीय टीम गठित कर 24 घंटे के अंदर जांच करने के निर्देश दिये थे।
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क्या कहा था महिला चिकित्सक ने
इधर मृतका के पति ने बताया कि उसकी पत्नी का प्रसव होना था। जिसको लेकर वह शनिवार की सुबह 9 बजे मेडीकल कॉलेज की महिला अस्पताल में पहुंचा था। इसी बीच उसके परिचित की एक आशा भी उसे वहां मिल गई तो वह भी उसके साथ महिला चिकित्सक के पास चली गई। इसके बाद महिला चिकित्सक द्वारा उस पर दवाब डाला गया कि आशा के विरूद्ध यह लिखकर दो कि आशा द्वारा 5 हजार रुपए की मांग की गई है। जब उसने व उसके परिजनों ने झूठी शिकायत देने से मना किया तो महिला चिकित्सक ने सीजर करने से मना कर दिया था।
प्राचार्य के कहने के बाद भी नहीं किया सीजर
इधर महिला चिकित्सक के मना करने के बाद परिजन मेडीकल कॉलेज के प्राचार्य डी.नाथ के पास पहुंचे, जहां प्राचार्य ने महिला चिकित्सक को सीजर करने को कहा था। इसके बाद भी सीजर नहीं किया गया और शाम को प्रसूता को भगा दिया गया।
रात 8 से 12:30 बजे तक चलता रहा था प्रदर्शन
इधर प्रसूता की मौत के बाद परिजन शव को अस्पताल परिसर में रखकर प्रदर्शन करने लगे। प्रदर्शन की जानकारी लगते ही उपजिलाधिकारी सदर चन्द्रभूषण सिंह, अतिरिक्त उप जिलाधिकारी के अलावा क्षेत्राधिकारी सदर अभय नारायण राय प्रदर्शनकारियों को समझाने पहुंचे। लेकिन प्रदर्शनकारी महिला चिकित्सक के विरूद्ध कार्रवाई की मांग को लेकर देर रात साढ़े 12 बजे तक प्रदर्शन करते रहे थे। प्रदर्शन को बड़ता देख मेडीकल कॉलेज के प्राचार्य ने महिला चिकित्सक स्वाती खरे को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था। इसके अलावा 24 घंटे के अंदर जांच कराने के निर्देश दिए थे।