संजीव सोनी
LALITPUR. आज के आधुनिक दौर में वाहनों का मानव जीवन में महत्वपूर्ण और बुनियादी जरूरत है। वाहनों का निर्बाध संचालन हो इसके लिए व्यवस्थित यातायात होना नितान्त आवश्यक है। यातायात व्यवस्था को सुदृण बनाने में वाहन चालकों का संस्कारित होना तो आवश्यक है ही, साथ में यातायात से जुड़ी सरकारी मशीनरी का भी महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व होता है। बावजूद इसके कोई भी इस जिम्मेदारी को ठीक से निर्वहन नहीं कर रहा है। ललितपुर की मुख्य सड़क पर जबरदस्त अतिक्रमण है।
जब तक ‘अपना काम बनता, भाड़ में जाय जनता’ जैसी सोच को सिरे से खारिज नहीं किया जाता तब तक व्यवस्था में सुधार होना असम्भव है। हमें ऐसे ही बिगड़ी हुई यातायात व्यवस्था से जूझते रहना होगा। जो दूरी हम पहले 5 मिनट में तय कर लेते थे, आज वही दूरी तय करने में 15 मिनट लग जाते हैं। आने वाले समय में शनै शनै ही सही वक्त बढ़ता जा रहा है। यातायात से जुड़े विभाग रणनीति तो बनाते हैं, उन पर कुछ वक्त दौडक़र कदम थाम लिए जाते हैं और व्यवस्था जस की तस नजर आने लगती है।
ये भी पढ़ें : डोल ग्यारस : ललितपुर में जलविहार को निकले भगवान, जानें कहाँ कैसे हुआ स्वागत
जनता के हाथ ही है समस्या से उबरने की कुन्जी
ललितपुर भले ही यातायात व्यवस्था की जिम्मेदारी मुख्य रूप से यातायात पुलिस, परिवहन विभाग के साथ-साथ नगर पालिका, पीडब्ल्यूडी की हो, लेकिन इस व्यवस्था को कायम रखने की जिम्मेदारी सबसे ज्यादा आम लोगों की है। जब तक जनता इस व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में दृढ़ इच्छा शक्ति से आगे नहीं आएगी, तब तक व्यवस्था में सुधार नहीं लाया जा सकता। एक समय था जब सावरकर चौक से रेलवे स्टेशन की दूरी महज 5 मिनट में तय की जा सकती थी। आज के समय में यही दूरी 15 मिनट में पूरी हो रही है।
वजह यातायात का निर्बाध सुचारू न होना। अतिक्रमण के चलते सडक़ लगातार संकरी होती जा रही है, जबकि सडक़ पर वाहनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही हैं। ऊपर से सडक़ पर मौजूद अतिक्रमण और वाहनों का बेतरतीब पार्क करके रखना समस्या को और भी बढ़ाने वाला साबित हो रहा है। शहर में निकलने पर बाजार में जगह-जगह वाहनों की कतारें लगी दिखाई देती हैं। हालत यह होती है कि वाहन और लोगों की भीड़ में पैदल चलना भी दूभर हो जाता है।
ये भी पढ़ें : राहुल गांधी की जीभ काट कर लाने वाले को 11 लाख रुपए का इनाम, NDA विधायक का विवादित बयान
बेमानी साबित हो रहे अभियान
ललितपुर यातायात व्यवस्था सुचारू करने के लिए समय-समय पर अभियान चलाए जाते हैं। ऐसे अभियान मात्र कुछ ही दिन बाद पुराने ढर्रे पर नजर आने लगते हैं। ऐसे में विभागीय अफसर सिर्फ कागजी खानापूर्ति कर दायित्वों की इतिश्री करते नजर आते हैं।
औचित्यहीन साबित हो रहा वन-वे
नगर में वनवे औचित्यहीन साबित हो रहा है। वन-वे के नाम पर सावरकर चौक से टैक्सि और चार पहिया वाहन अटा मन्दिर, तालाबपुरा होते हुए तुवन मन्दिर पर निकाले जा रहे हैं। इस व्यवस्था से सिर्फ चौराहे से घण्टाघर तक के लिए ही अपनाई जा रही है, जो जनता के लिए समझदारी वाला फैसला नजर नहीं आ रहा। सावरकर चौक और घण्टाघर की दूरी लगभग 30-35 मीटर होगी। आए दिन होने वाली जैम से बचने के लिए यदि मार्ग के दोनों ओर अतिक्रमण खत्म कर मार्ग डिवाइडर ही बना लिया जाए, तो ही समस्या पर काबू किया जा सकता है।
रिहायशी इलाके से हो रहा वाहनों का आवागमन
दिगम्बर जैन अटा मन्दिर से लेकर तालाबपुरा रिहायशी इलाका है। यहाँ से वाहनों को निकालने के फैसले से इस इलाके में निवास करने वाले लोगों के बच्चों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। अब बच्चे पहले की तरह घर के बाहर खेल नहीं सकते अब घरों में कैद होकर रह गए हैं। वहीं अटा मन्दिर पर भी प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालुओं का आवागमन होता है। इसमें महिलाएं बच्चे और बुजुर्गांे की संख्या भी होती है। सडक़ पर मन्दिर आने जाने वाले लोगों के भी वाहन खड़े होते हैं। इसके अलावा सब्जी, फल आदि के ठेले भी लगे रहते हैं। इससे भी इस रूठ से वाहन निकालने के फैसले पर सवाल खड़े हो रहे हैं।