RAIPUR. बरसात के इस मौसम में डेंगू-मलेरिया जैसी बीमारियों के बाद अब चांदीपुरा वायरस भी पाँव पसारने लगा है। लोग अभी कोरोना वायरस के प्रकोप से पूरी तरह से उबर भी नहीं पाये थे कि इस नये वायरस ने लोगों की चिंता बढ़ा रखी है। अब तक इसके 27 मामलो की पुष्टि हुई है और 15 लोगों की मौत की खबर भी सामने आ रही है। 27 में से 24 केस गुजरात के ही है।
गुजरात के 12 जिलों में संदिग्ध मामले सामने आये है। सबसे ज़्यादा मामले साबरकांठा और अरावली ज़िले से मिले हैं जहां 8 केस पाये गये है। रहस्यमयी मौतों के सैंपल को जब नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी (NIV) के पास भेजा गया तो एक चार साल की बच्ची में चांदीपुरा वायरस की पुष्टि हुई है।
क्या है चाँदीपुर वायरस और कैसे फैलता है
चाँदीपुरा वायरस रबडोविरिडे फ़ैमिली का एक आरएनए (RNA) वायरस है। इसकी वजह से बच्चे दिमाग़ी बुख़ार के शिकार हो जाते हैं। यह वायरस ख़ासतौर से 2 महीने से लेकर 15 साल के बच्चों को अपना शिकार बनाता है। चाँदीपुरा वायरस कीट-पतंगों और मच्छरों के ज़रिए फैलता है। यह वायरस वेसिक्यूलोविरस गण का सदस्य है। इस वायरस से मच्छर सबसे पहले संक्रमित होते हैं और जब यह मच्छर बच्चों को काट लेते हैं। इससे वे दिमागी बुख़ार के शिकार हो जाते हैं। माना जा रहा है कि यह वायरस सैंडफ़्लाइज़ फ्लेबोटोमस पापटासी के माध्यम से फैलता है जो कुछ कीड़ों और मच्छरों में पाया जाता है। ऐसे कीड़े या मच्छर जब बच्चों को काट लेते हैं तो उससे इन्फेक्शन फैल जाता है।
चाँदीपुरा वायरस के लक्षण
चाँदीपुरा वायरस की वजह से बच्चों को अचानक तेज बुख़ार आ जाता है। इसके बाद दौरे पड़ने लगते है और उल्टी-दस्त होने लगते है। इसके बाद बच्चों को कमजोरी महसूस होने लगती है। बुख़ार के दिमाग़ में चढ़ने की वजह से बच्चों के दिमाग़ में सूजन आ जाती है तो यह वायरस जानलेवा हो जाता है।
क्या चाँदीपुरा वायरस का इलाज
अभी तक चांदीपुरा वायरस के लिए कोई वैक्सीन अलग से तैयार नहीं की गई है। आपको याद होगा जब कोरोना वायरस फैला था, तब भी कोरोना की वैक्सीन तुरंत नहीं बनी थी फिर भी कोरोना का इलाज किया जा रहा था। उसी प्रकार चाँदीपुरा वायरस का इलाज भी सिर्फ़ लक्षणों के हिसाब से किया जा रहा है। शुरुआत में जब बच्चे को फ्लू होता है तो वायरल इन्फेक्शन के हिसाब से दवा दी जाती है तो बुख़ार या दिमाग़ में सूजन होने पर इसके इलाज का तरीक़ा बदल दिया जाता है।
कैसे कर सकते है इससे बचाव?
इस वायरस से बचने का एक ही तरीक़ा है कि अपने घर में और आसपास साफ़ सफ़ाई रखें। ताकि मच्छर ना पनप पायें। जितना हो सके जलभराव होने से रोकें। रात को सोते वक़्त मच्छरदानी का इस्तेमाल करें और बच्चों को पूरी आस्तीन के कपड़े पहनाकर रखें। इससे वह कीट-पतंगों या मच्छरों के काटने से बच सकें।
क्या है इस बीमारी का डेथ रेट
अभी तक की आयी खबरों को देखते हुए अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि चांदीपुरा वायरस की डेथ रेट बहुत ज़्यादा है। अगर बच्चा शुरू में ही रिकवर हो जाता है तो परेशानी नहीं होती है। लेकिन अगर बुख़ार की वजह से बच्चे के दिमाग़ में सूजन आ जाती है तो डेथ रेट काफ़ी बढ़ जाता है। मान लीजिए 10 बच्चों को दिमाग़ में सूजन आ रही है तो उनमे 5 से 7 बच्चों की मौत की खबर सामने आ रही है। दिमाग़ में सूजन आने के बाद इस वायरस को रोकना मुश्किल दिख रहा है।