NEW DELHI. देश-दुनिया में नई टेक्नोलॉजी ने क्रांति ला दी है। हर सिक्के के दो पहले होते हैं, वैसे भी इस नई टेक्नोलॉजी अच्छाई के साथ खराबी भी है। दरअसल, मुफ्त में उपलब्ध इन एआई चैटबॉट की लोग खासकर युवा आंख बंद कर मदद ले रहे हैं। पढ़ाई और करियर में भी एआई की मदद ली जा रही है। लेकिन इनके द्वारा दी जा रही जानकारी को लेकर सवाल उठे हैं।
एक सिंगापुर में एआई की क्षमता और उनकी कमजोरियों को लेकर की गई तुलनात्मक स्टडी में सामने आया है कि एआई कई बार सवालों का सही और सटीक जानकारी देने के बजाय भ्रमपूर्ण या गलत जानकारी देता है। स्टडी में चैटजीपीटी, मेटा एआई और जैमिनी के मुफ्त संस्करणों को उनके कामों के जरिए परखा गया।
इसमें टेक्स्ट को क्रंच करने, ट्रैवल शेड्यूल बनाने और दुरुपयोग को रोकने की उनकी ताकत, क्षमता और कमजोरियों को पैमाना बनाया। स्टडी के अनुसार इसमें जैमिनी सबसे ज्यादा सटीक और भरोसेमंद पाया गया। चैटजीपीटी दूसरे नंबर पर रहा। जबकि मेटा का एअाई की प्रदर्शन सबसे खराब पाया गया।
चैटबॉट्स को युवा गेमिंग पर स्टडी से प्रेरित एक फोटो बनाने का काम सौंपा गया, तो मेटा ने कई फोटो पेश कर दिए। इसमें आंकड़े दिए गए। चैटजीपीटी ने सटीक जवाब नहीं दिया, जबकि जेमिनी ने कहा कि वह अभी लोगों के फोटो बनाने में असमर्थ है और उसने गुस्से वाले इमोजी के साथ कंप्यूटर स्क्रीन के स्केच पेश किए।
ऐसे की गई स्टडी
अलमक सबसे लोकप्रिय सिंग्लिश शब्द है…इसे 50 शब्दों में समझाने की चुनौती दी गई। इसके साथ ही पूछा गया कि क्या स्ले और जेन जेड शब्द को अच्छी तरह से समझा नहीं गया है। इसमें जेमिनी का जवाब सबसे सटीक साबित हुआ।
चैटजीपीटी ने कुछ अनावश्यक कहानी गढ़ दी। जबकि मेटा एआई ने यह बताया कि इसका 200 प्रतिभागियों ने जवाब दिया था। उसने इस स्टडी का श्रेय नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर को दिया था। ये दोनों ही बातें झूठ हैं।