BILASPUR. कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता व जनसंचार विश्वविद्यालय में नियुक्ति विवाद को लेकर सिंगल बेंच के फैसले को विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा चुनौती देने वाली याचिका पर डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए छह सप्ताह के भीतर मामले के निराकरण का आदेश विश्वविद्यालय प्रबंधन को दिया है। डिवीजन बेंच ने कहा है कि रिट अपील को आंशिक रूप से अनुमति दी जाती है और सिंगल बेंच द्वारा जारी 30 जनवरी को पारित आदेश जहां तक यह याचिकाकर्ता की सेवाओं को तुरंत बहाल करने के लिए विश्वविद्यालय को निर्देश देने से संबंधित है। सभी परिणामी लाभ जिनके लिए याचिकाकर्ता प्रासंगिक नियमों और कानून के अनुसार हकदार है को रद कर दिया गया है।
बता दें, वर्ष 2007 में कुशाभाऊ ठाकरे विश्वविद्यालय ने विभिन्न विषयों में प्रोफेसर, रीडर और व्याख्याता के नियमित पदों पर सीधी भर्ती के लिए एक विज्ञापन प्रकाशित किया। याचिकाकर्ताओं ने भी भाग लिया। 19 सितंबर 2008 के तहत पत्रकारिता विश्वविद्यालय विषय में एसोसिएट प्रोफेसर (रीडर) के पद पर चयनित किया गया।
इस नियुक्ति से पहले वर्ष 2005-06 में याचिकाकर्ता को विश्वविद्यालय में अनुबंध के आधार पर रीडर के रूप में नियुक्त किया गया था और शैलेन्द्र खंडेलवाल को एक वर्ष की अवधि के लिए अनुबंध के आधार पर व्याख्याता के रूप में नियुक्त किया गया था। हालांकि याचिकाकर्ता के कुछ बयान के आधार पर शैलेन्द्र खंडेलवाल की संविदा अवधि नहीं बढ़ाई गई। इसके चलते उसने याचिकाकर्ता के खिलाफ शत्रुता और बदले की भावना अपनाई।
शैलेन्द्र खंडेलवाल ने वर्ष 2009 में रिट याचिका दायर की और चयन समिति की सिफारिश के खिलाफ छत्तीसगढ़ लोक आयोग के साथ-साथ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के समक्ष शिकायत दर्ज की। कुलाधिपति ने जांच के लिए एक समिति गठित की। सामान्य प्रशासन विभाग की तत्कालीन सचिव निधि छिब्बर ने मामले की जांच की और नौ अगस्त 2010 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। छत्तीसगढ़ लोक आयोग ने भी मामले की जांच की और 12 अगस्त 2014 को अपनी सिफारिश प्रस्तुत की।
वर्ष 2020 में शैलेन्द्र खंडेलवाल को विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया। इनकी नियुक्ति को याचिकाकर्ता द्वारा रिट याचिका के माध्यम से विभिन्न आधारों पर चुनौती दी गई है। जो अभी भी लंबित है। रिट याचिका के लंबित रहने के दौरान 15 जून 2023 को विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद की बैठक आयोजित की गई और कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना और याचिकाकर्ता को सुनवाई का कोई अवसर दिए बिना सेवाओं को समाप्त करने के लिए विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया गया है।
याचिकाकर्ता द्वारा 15 जून 2023 के निर्णय को चुनौती देते हुए रिट याचिका दायर की गई। जिसमें 21 जून 2023 को हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब पेश करने कहा था। याचिका दायर करने के एक दिन पहले 20 जून 2023 विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। याचिकाकर्ता ने संबंधित दस्तावेजों की प्रतियों की मांग की। लेकिन रजिस्ट्रार ने उन्हें उन दस्तावेजों की प्रतियां देने से मना कर दिया और उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब पेश करने कहा। याचिकाकर्ता ने अपना जवाब प्रस्तुत किया और उसे नियुक्ति प्राधिकारी के समक्ष रखे बिना याचिकाकर्ता की सेवाएं समाप्त कर दी गई।
सिंगल बेंच के फैसले को दी चुनौती
मामले की सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने रिट याचिकाकर्ताओं एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ.शाहिद अली व वाइस चांसलर बलदेव भाई शर्मा को सभी परिणामी लाभों के साथ सेवाओं को तुरंत बहाल करने के निर्देश दिए है। सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती देते हुए विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रा व वाइस चांसलर ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से डिवीजन बेंच में चुनौती दी।
याचिकाकर्ता विश्वविद्यालय ने अपनी याचिका में कहा कि रिट याचिकाकर्ताओं को हटाने का आदेश माइक्रो कमेटी रिपोर्ट के पुनर्मूल्यांकन के अनुसार एक अन्य उम्मीदवार प्रमोद जेना को याचिकाकर्ता के स्थान पर नियुक्ति दे दी है। विश्वविद्यालय प्रबंधन ने अपनी याचिका में कहा है कि रिट याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर दिया गया था।
याचिका के अनुसार माइक्रो कमेटी ने अपनी पूरी रिपोर्ट में उम्मीदवारों द्वारा प्रस्तुत रिकार्ड उनकी योग्यता व पुनर्मूल्यांकन के आधार पर निष्कर्ष दिया है और इसमें कोई कमी नहीं है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा के डिजीवजन बेंच में हुई। डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए पूर्व के तीनों याचिकाकताओं को विश्वविद्यालय के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने और अभ्यावेदन पर छह सप्ताह के भीतर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।