AMBIKAPUR. सरगुजा जिले के उदयपुर ब्लाक में राजस्थान विद्युत उत्पादन कंपनी के कोल ब्लॉक को लेकर विरोध और समर्थन के दोनों स्वर सुनाई दे रहे हैं। एक तरफ जहां पेड़ कटाई को लेकर यहां के ग्रामीणों के द्वारा इसका विरोध किया गया। तो वहीं अब ग्रामीणों का एक दल पीईकेबी खदान को जल्द शुरू करने की मांग को लेकर कलेक्टर से मुलाकात करने पहुंचा और जल्द से जल्द खदान शुरू करने की मांग की। इस मामले को लेकर कलेक्टर ने जांच के बाद उचित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
हम आपको बता दें कि उदयपुर ब्लॉक में राजस्थान विद्युत उत्पादन कंपनी को कोल खदान आवंटित किए गए हैं। इसके तहत पीईकेबी खदान के विस्तार के लिए पेड़ों की कटाई तो कर दी गई मगर अब भी जमीन राजस्थान विद्युत उत्पादन कंपनी को स्थानांतरित नहीं की जा सकी है। इसके कारण यहां कोयले का उत्खनन शुरू नहीं हो सका है। कोयला खदान शुरू नहीं होने से जहां राजस्थान में कोयले का संकट खड़ा हो गया है। वहीं आज सालही ग्राम के सैकड़ों ग्रामीण कोल खदान को जल्द से जल्द शुरू करने की मांग को लेकर अंबिकापुर कलेक्टर के पास पहुंचे। जहां उन्होंने मुलाकात कर यह बात कही की खदान शुरू नहीं होने से उनके सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। साथ ही साथ बाहरी लोग यहां पहुंचकर खदान नहीं खुलने देना चाह रहे हैं। जिससे ग्रामीणों का साफ तौर पर नुकसान हो रहा है। ऐसे में कलेक्टर ने ग्रामीणों की मांग के बाद जांच कर उचित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
इधर, राजस्थान राज्य को पावर कट से बचाने के लिए सरगुजा के हसदेव क्षेत्र से कोयले की जरूरत है। राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम के CMD आर के शर्मा इन दिनों छत्तीसगढ़ के दौरे पर हैं। गुरुवार को उन्होंने रायपुर में मंत्रालय में उच्च अधिकारियों से मुलाकात कर हसदेव क्षेत्र में कोल माइंस से कोल का उत्पादन जल्दी शुरू हो सके इसके लिए चर्चा की । अधिकारियों से बातचीत के बाद आरके शर्मा ने बताया कि प्रभावित क्षेत्र में अब तक 4 लाख पेड़ राजस्थान सरकार ने पहले ही लगा दिए हैं । कोल के बदले में रॉयल्टी के तौर पर सरकार को हर साल औसतन 1000 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया जा रहा है । हम आपको बता दें कि राजस्थान के 4300 मेगावाट की बिजली का उत्पादन सरगुजा के कोयले पर आधारित है।