NEW DELHI/RAIPUR. त्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) को बड़ा झटका लगा है। छत्तीसगढ़ में चल रही शराब घोटाले की जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है।
जस्टिस संजय किशन कौल, और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ में मंगलवार को सिद्धार्थ सिंघानिया, और अनिल टुटेजा-यश टुटेजा की अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई की।
कोर्ट ने याचिका कर्ताओं को बड़ी राहत देते हुए ईडी की आगे की जांच पर रोक लगा दी है। इस पूरे मामले में शराब कारोबारियों के अलावा अफसरों को भी आरोपी बनाया गया है। दरअसल, ईडी ने 2 हजार करोड़ रुपए के शराब घोटाले का दावा किया था।
सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद नगरीय प्रशासन मंत्री मंत्री शिव डहरिया ने कहा कि यह इस बात प्रमाण है कि जो जांच की जा रही थी, वह पक्षपातपूर्ण थी। इस बात को भाजपा ने बड़ा मुद्दा बनाया, क्योंकि उनके द्वारा ही यह प्रायोजित था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने साबित कर दिया कि भाजपा का आरोप गलत था और हमारी सरकार अच्छा काम कर रही है। हमको न्यायपालिका पर पूर्ण विश्वास है. हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं।
ऐसे समझें पूरा मामला
बता दें कि ईडी ने शराब घोटाले पर पखवाड़े भर पहले 4 जुलाई को चार्जशीट पेश किया है। 5 आरोपियों के खिलाफ रायपुर में स्पेशल जज अजय सिंह राजपूत की अदालत में करीब 16 हजार पन्नों का चार्जशीट पेश किया था। इस मामले में ईडी ने अनवर ढेबर, नितेश पुरोहित, पप्पू ढिल्लन, अरविंद सिंह और अरुणपति त्रिपाठी को आरोपी बनाया है।
ईडी का दावा था कि साल 2019 से 2022 के बीच प्रदेश में बड़ा शराब घोटाला हुआ है, जिसमें 2 हजार करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत मिले हैं। जांच एजेंसी ने बताया था कि अनवर ढेबर छत्तीसगढ़ में एक सिंडिकेट चला रहा है, जिसे बड़े नेताओं के साथ-साथ सीनियर अफसरों का भी समर्थन हासिल है। इसमें एक ऐसा नेटवर्क तैयार किया गया है कि छत्तीसगढ़ में बेचे जाने वाली शराब की हर बोतल पर अवैध वसूली की जा रही थी।