INDORE. इस बार 19 साल बाद सावन दो महीने का मनाया जा रहा है। इसकी वजह है कि इस बार सावन महीने के साथ ही मलमाल लग रहा है। मलमास को ही अधिक मास या पुरुषोत्तम मास के भी नाम से जाना जाता है। यह महीना हर तीन साल में एक बार आता है। इस दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्य करने की मनाही होती है।
इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास बताते हैं कि अधिक मास के दौरान सूर्य संक्रांति नहीं होती है। इसी वजह से इस महीने को मालीन मास कहा जाता है। इस बार यह समय आज यानी 18 जुलाई से शुरू हो रहा है और 16 अगस्त तक चलेगा। यह महीना विशेषरूप से भगवान विष्णु को समर्पित होता है।
पंडित गिरीश व्यास बताते हैं कि अधिक मास में शालिग्राम भगवान की उपासना से विशेष लाभ मिलता है। इस दौरान पीले वस्त्र, पीले रंग का अनाज और फल भगवान विष्णु को अर्पित करने और उनका दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जप-तप करने का विशेष फल मिलता है।
ब्राह्मणों और जरूरतमंद लोगों को यथाशक्ति वस्त्र, अनाज, धन और जूते-चप्पल का दान करना चाहिए। मलमास में किसी भी तरह के शुभ कार्य को करने की मनाही होती है। इस दौरान विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश या उपनयन संस्कार जैसे कोई भी शुभ कार्य नहीं होते हैं।
मलमास के पुरुषोत्तम मास बनने की कहानी
पुराणों के अनुसार, मलमास का कोई स्वामी नहीं था, जिस वजह से उसकी बहुत निंदा होती थी। मलमास अपने कष्टों को लेकर भगवान विष्णु के पास पहुंचे। तब भगवान विष्णु मलमास को भगवान कृष्ण के पास गोलोक लेकर गए। यह व्यथा जानने के बाद भगवान कृष्ण ने मलमास को वरदान देते हुए कहा कि आज से मैं ही तुम्हारा स्वामी हूं। जिस तरह से भगवान कृष्ण को पुरुषोत्तम कहा जाता है ठीक उसी तरह से आज से मलमास को भी पुरुषोत्तम मास कहा जाएगा। भगवान कृष्ण ने मलमास को आशीर्वाद दिया कि प्रत्येक तीन वर्ष में तुम्हारे आने पर जो कोई भी व्यक्ति पूरे भक्ति भाव से अच्छे कर्म करेगा उसे उस कर्म का तीन गुना फल प्राप्त होगा।