BHILAI. एक छोटा सा डिवाइस(पोर्टेबल डिवाइस) जो किसानों के मौजूद न रहने पर भी खेतों को जरूरत के हिसाब से पानी व खाद देकर सींच सकेगा। खेतों से हजारों किलो मीटर दूर रहकर भी अब किसान सिर्फ एक ऐप(अनाजO) के माध्यम से लगाई गई फसलों की गुणवत्ता के साथ- साथ और भी कई तरह की जानकारीयां हासिल कर पाएंगे। रूंगटा इंजीनियरिंग कॉलेज (आर-01) के टेक्नोक्रेट्स द्वारा यह पोर्टेबल डिवाइस तैयार किया गया है, जो खेत में इंस्टॉल करने पर मिट्टी की नमी, नाइट्रोजन, पोटेशियम और फासफोरस की मात्रा लगातार डिटेक्ट करता रहेगा। मिट्टी में नमी कम होने पर डिवाइस पानी की मात्रा कि गणना कर कंट्रोलर को पानी सप्लाई चालू करने का कमांड देगा। इस ऐप को गूगल वेदर व आईएमडी से लिंक किया गया है, जिसकी मदद से ऐप बारिश से लेकर ओंस तक का हिसाब-किताब रखेगा और इसके बारे में किसान को मोबाइल पर पॉपअप केद्वारा सूचना देता रहेगा। रूंगटा के विद्यार्थीयों की इस तकनीक को ओडिशा सरकार ने एक लाख रुपए की राशि के साथ ओडिशा हैकॉथान में प्रथम पुरस्कार दिया है।
अब किसान की गैरमौजूदगी में भी खेतों की सिचाई कर सकेगा पोर्टेबल डिवाइस ‘अनाजÓ, ऐप से पता चल सकेगा फसल को किस चीज की जरुरत है, पानी या खाद की। छात्रों ने यह भी बताया कि, इस डिवाइस को काफी सस्ते में ही तैयार कर लिया गया, जो एक एकड़ खेत के लिए बनाया गया है। इस पर आगे भी रिसर्च जारी है, ताकि इसकी क्षमता को और भी बढ़ाया जा सके। बता दे कि डिवाइस में खास तरह के सेंसर्श का इस्तेमाल हुआ है, जो मिट्टी व खाद की जांच करता है। तथा मिट्टी को कब कितने पानी की जरुरत है उसके हिसाब से ही पूर्ति होती है। यदि बारिश होने वाली है तो इस डिवाइस से जुड़ा ऐप किसान तक 06 घंटे पहले ही जानकारी पहुंचा देता है, जिसकी वजह से खेत में पहले से सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती।
सरकार भी करेगी मदद
इस ऐप के इस्तेमाल के साथ ही किसान का खेत गूगल के मैप पर लोकेट होने लगता है। भविष्य में इस डिवाइस को जिला प्रशासन के साथ साझा कर फसलों के होने वाले क्षति से बचाव के लिए भी उपयोग करने की योजना है, जिसके लिए जल्द ही छात्र बैठक करेंगे। वहीं इस डिवाइस को खेत में लगाने के बाद यदि इसमें कोई दिक्कत आई तो उसे भी किसान खुद ही ठीक कर सकते है। इस संबंध में स्टूडेंट्स ने यूट्यूब और अनाज ऐप पर ट्यूटोरियल वीडियो अपलोड कर दिया है।
एप में आईओटी टेक्नोलॉजी
ऐप में इंटरनेट ऑफ थींक्स यानी आईओटी टेक्नोलॉजी का उपयोग हुआ है। इसमें सेंसर्स भी लगाए गए हैं, जो डिवाइस को डेटा भेजेगा। इसी में माइक्रो कंट्रोलर और पंप मोटर भी जुड़ा हुआ है। अब यदि खेत को पानी चाहिए तो सेंसर माइक्रोकंट्रोलर को कमांड देगा कि फसल को पानी की जरूरत है। इसके बाद जितने पानी की जरूरत होगी उतना पंप के द्वारा सप्लाई कर दिया जाएगा। इसके लिए खेत में किसी व्यक्ति को मौजूद रहने की जरूरत नहीं है। सब काम ऑटोमेटिक ही होंगे।