रायपुर। पावर प्लांटों से काफी मात्रा में निकलने वाली फ्लाई-ऐश को अधिकतर खुले स्थान पर ही डंप करने से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। मगर, अब पर्यावरण को बचाने के साथ ही रेलवे ने इससे करोड़ों रुपये का राजस्व भी अर्जित किया है। बताते चलें कि पावर प्लांटों में कोयला जलाने के बाद फ्लाई ऐश यानी राख पर्यावरण के लिए घातक साबित होती थी। मगर, फ्लाई-ऐश को री-साइकल करके इससे ईंट बनाई जाने लगी हैं। कई कारखानों में भी इसकी खपत बढ़ने की वजह से इसकी मांग काफी बढ़ गई है।
छोटे स्तर पर इसका परिवहन सड़क मार्ग से होता था, लेकिन अब देश के कोने-कोने तक मांग बढ़ने के बाद रेलवे ने फ्लाई-ऐश की आपूर्ति का जिम्मा उठाया है। रायपुर रेलवे मंडल के अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान वित्तीय वर्ष 2021-22 के अप्रैल से अक्टूबर तक पूरे भारतीय रेलवे में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के द्वारा सर्वाधिक फ्लाई-ऐश की ढुलाई की है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
अप्रैल से अक्टूबर 2021 तक कुल 40,68,000 टन फ्लाई-ऐश की ढुलाई की जा चुकी है, जिसमें प्रथम स्थान पर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे 11,56,000 टन और दूसरे स्थान पर दक्षिण मध्य रेलवे 6,36,000 टन फ्लाई-ऐश की ढुलाई हो चुकी है। इस दौरान दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने 289 रैक फ्लाई-ऐश की ढुलाई कर लगभग 63.5 करोड़ राजस्व हासिल किया है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने फ्लाई-ऐश के लदान के लिए छह टर्मिनल खोले हैं। वर्तमान वित्तीय वर्ष में चार अतिरिक्त टर्मिनल खोले जाएंगे।
TNS