
November 1, 2022
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2 नवंबर को है आंवला नवमी व्रत, यहां पढ़ें आंवला नवमी की व्रत कथा
INDORE. कार्तिक महीने में कई व्रत और त्यौहार आते हैं। इसमें दिवाली के बाद आने वाले आंवला नवमी व्रत का विशेष महत्व है। आंवला नवमी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास ने बताया कि इस साल आंवला नवमी 2 नवंबर को बुधवार के दिन... Read More





आंवला नवमी को अक्षय नवमी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन किया गया कार्य, दान आदि अक्षय रहता है यानी कभी खत्म नहीं होता है। इस खास दिन पर आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। सुख, संपदा और स्वस्थ रहने की कामना के साथ आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। अक्षय नवमी के दिन आंवला पूजन धन, सौभाग्य और संतान सुख का कारक माना जाता है। इस दिन पूजा, स्नान, अन्नदान और दान करने से अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस नवमी पर पति-पत्नी की एक साथ पूजा करने से परम शांति, सौभाग्य, सुख और श्रेष्ठ संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही पुनर्जन्म के बंधन से मुक्ति भी मिली-जुली है।
आंवला नवमी में आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर पूजा अर्चना कर भोजन किया जाता है। इस दिन आंवला को प्रसाद के रूप में भी खाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि आंवला नवमी के दिन व्रत कथा को पढ़ने या सुनने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी प्रसन्न होते हैं। इस दिन पति-पत्नी को पांच अन्य फलों के साथ पांच आंवले के पेड़ संयुक्त रूप से लगाने चाहिए ताकि सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त हो सकें।
आंवला नवमी की कथा
इसलिए है आंवला नवमी का महत्व




























