KORBA. पावर प्लांट की गगनचुंबी चिमनी के नीचे बारूद लगाकर विस्फोट किया जाता है और फिर चंद सेकंड में चिमनी धराशायी हो जाती है। पुलिसवाले और दूसरे जिम्मेदार न सिर्फ देखते रहते हैं बल्कि बकायदा इसका वीडियो बनाते रहते हैं। यह नजारा कोरबा जिले के छुरी के पास स्थित वंदना पावर प्लांट का है।

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— Tirandaj (@Tirandajnews) October 15, 2022
दरअसल, यहां करीब 14 साल पहले पावर प्लांट की स्थापना की गई थी। तब यहां 35-35 मेगावाट की दो इकाइयों का निर्माण किया गया। निर्माण कार्य पूरा होने के बाद उत्पादन को लेकर भी सभी कवायदें पूरी कर ली गई थीं। दोनों संयंत्रों को चार्ज करने के साथ चिमनी धुआं उगलने को तैयार थी। इस निर्माण के समय में ही इसके पतन की बुनियाद भी रखनी शुरू हो गई। कारण ये कि तब बिजली का कोई खरीदार ही नहीं मिला तो उत्पादन किसके लिए करते। इतना ही नहीं, इन दोनों इकाइयों के पास ही 540-540 मेगावाट की दो और इकाइयों का निर्माण कर लिया गया था। इन्हें बनाने में ही कई हजार करोड़ रुपये खर्च हो चुके थे। यूनिट जब शुरू नहीं हुए तो जिन बैंकों ने कर्ज दिया था, उनकी ओर से प्रबंधन पर दबाव पड़ने लगा। कर्ज का ब्याज बढ़ता चला गया।

बताया जा रहा है कि दोनों संयंत्रों पर लगभग आठ हजार करोड़ रुपये का कर्ज हो चुका है। जब कहीं से भी कर्ज की राशि वापस होने की संभावना नजर नहीं आई तो कर्ज देने वाले बैंक ने संयंत्रों को अपने कब्जे में ले लिया। बैंक ने भी कर्ज की राशि वापस पाने के लिए संयंत्रों को बेचकर भरपाई का निर्णय लिया। नीलामी की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन तब भी कोई बोली लगाने को तैयार नहीं हुआ। अब एक ही उपाय रह गया था, वह था संयंत्र को तोड़कर उसकी सामग्रियों को कबाड़ के रूप में और मशीनरी को बेचकर भरपाई करना। इसी के तहत दिल्ली की एक ठेका कंपनी को प्लांट के डिस्मेंटल का काम सौंपा गया। उसकी एक टीम ने पहले तो जायजा लिया और फिर डिस्मेंटल की प्रक्रिया शुरू की गई। शुक्रवार की सुबह सभी तैयारियां पूरी करने के बाद चिमनी के नीचे बारूद बिछाई गई और सुरक्षा प्रबंध सुनिश्चित करने के बाद विस्फोट किया गया। इसके साथ ही चिमनी भरभराकर नीचे आ गिरी। इस बीच सुरक्षा के लिए पुलिस, राहत व बचाव दल, फायर ब्रिगेड की टीम के साथ ही प्रशासनिक अमला भी तैनात रहा।

रह जाएगी जमीन, उद्योग में ही संभावना
बैंक प्रबंधन प्लांट के कलपूर्जों व मशीनरी के साथ ही कबाड़ के रूप में मिले महंगे धातुओं की बिक्री करेगा। उसके बाद वहां सिर्फ जमीन रह जाएगी। इतने बड़े प्लाट की बिक्री भी आसान नहीं रहेगी। ऐसे में माना जा रहा है कि किसी दूसरे उद्योग के लिए कोई न कोई खरीदार उन्हें मिल जाएगा। ऐसे में बैंक प्रबंधन किसी उद्यमी को ही इस जमीन को देने पर विचार कर रहा है। इसके लिए भी जल्द ही नीलामी प्रक्रिया शुरू कराई जाएगी। वहीं सबसे पहले समतलीकरण कराया जाना है।






































