RAIPUR. कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय रायपुर के कार्यपरिषद सदस्य का एक और बावली खत सामने आया है। विश्वविद्यालय भ्रमण के बाद कुलपति को शिकायतों से भरा एक ऐसा पत्र लिखा है, जो सुर्खियां बटोर रहा है। बता दें हाल ही में सरकार ने विश्वविद्यालय में दो दिग्गज पत्रकारों को कार्यपरिषद का सदस्य नियुक्त किया है। नियुक्ति के बाद विश्वविद्यालय की कमी को लेकर इनके द्वारा कुलपति को लिखा जाने वाला यह दूसरा पत्र है।
प्रदेश के एकमात्र पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बलदेव भाई शर्मा के नाम यह पत्र लिखा गया है। कार्यपरिषद के सदस्यों ने विश्वविद्यालय भ्रमण के बाद वहां की कमियां गिनाते हुए कुलपति को यह पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने इस विश्वविद्यालय की तुलना युद्ध क्षेत्र से की है।
विश्वविद्यालय के बीज में गड़बड़ी
पत्र में लिखा गया है कि इस विश्वविद्यालय की आधारशिला में ही कोई गड़बड़ी है। यहां हर कर्मचारी एक-दूसरे से लड़ता और खुद से जूझता नजर आता है। हालांकि यह लड़ाई चाकू-छूरे से नहीं, बल्कि कागज-पत्री और नोटशीट में लड़ी जा रही है। विश्वविद्यालय का आमचूल परिवर्तन करना आवश्यक है। जब किसी घर को दीमक खाने लग जाते हैं तो वहां दवाई का छिड़काव जरूरी हो जाता है।
भवन को चर लिया दीमकों ने
पत्र में आगे लिखा गया है कि विश्वविद्यालय में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए भवन बनाया गया है, जिसे दीमकों ने चर लिया है। कोई भी कार्यक्रम करवाने से पहले रूम फ्रेशनर से उसे शुद्ध करना पड़ता है।
कुलपति के बैठने वाले प्रशासनिक भवन में भी गड़बड़ी
पत्र में आगे लिखा गया है कि परीक्षा विभाग के लिए आबंटित एक और कक्ष है जो कबाड़ हो चुका है। विश्वविद्यालय में भौतिक सत्यापन समिति तक नहीं है। फैकल्टी भवन में सड़े-गले फर्नीचरों का अंबार लगा हुआ है।
जनसंचार विभाग की स्थिति दयनीय
पत्र में आगे लिखा गया है कि जनसंचार विभाग में जो वाटरकूलर है, वह ख़राब है। …और हैरानी की बात यह है कि जितना पैसा उसे बनाने में खर्च किया जा चुका है, उतने में नया वाटर कूलर आ जाएगा। साथ ही सेमिनार कक्ष की हालत और भी खराब है। यहाँ एसी, लाइट और ऑडियो-विजुअल की स्थिति बेहद दयनीय है। विद्यार्थियों के लिए इस विभाग में जो बाथरूम हैं, उसकी हालत तो और भी बदतर है।
कर्मचारी-अधिकारियों को प्रकृति से प्रेम नहीं
परिसर में स्थित गार्डन को देखकर लगता है कि यहां के कर्मचारियों और अधिकारियों को प्रकृति से कोई प्रेम नहीं है। इस ओर ध्यान देवें। एक अच्छा गार्डन विश्वविद्यालय की शोभा ही बढ़ाएगा।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बाबा आदम के जमाने का सामान
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विभाग में जो कंप्यूटर हैं, वह बाबा आदम के जमाने के हैं। सभी कंप्यूटर वायरस से ग्रसित हैं। सॉफ्टवेयर पुराने हो चुके हैं। और अच्छे ग्राफ़िक्स कार्ड की कमी है।
लाइब्रेरी पर नहीं है ध्यान
इतने बड़े पत्रकारिता के विश्विद्यालय में किताबों पर खर्च ही नहीं किया जाता। इनके ट्रीटमेंट की आवश्यकता है। सालना यहाँ बस 15 से 20 हज़ार रुपये ही किताबों पर खर्च किए जाते हैं।
पत्र में आगे विश्वविद्यालय की छोटी बड़ी परेशानियों को गिनाते हुए कहा गया है कि सप्ताह में शनिवार को प्रोफेसर मौजूद नहीं रहते, उनकी उपस्थिति अनिवार्य की जाए। विश्वविद्यालय के प्रश्नपत्र बनाने की जिम्मेदारी गोपनीय विभाग को दी जाए। इसके अलावा कुल 24 गार्डों की तैनाती विश्वविद्यालय में की गई है, लेकिन भ्रमण के दौरान उतने गार्ड दिखाई नहीं दिए। सभी गार्डों के परिचय पत्र और फ़ोन नंबर की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर ध्यान दिया जाए। साथ ही हॉस्टल में बच्चों के लिए पीने के पानी की समस्या, बिजली की समस्या को दूर किया जाए। अनियमित कर्मचारी और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की समस्याओं का जल्द समाधान करने को कहा गया है।
a pile of rotten furniture in the faculty building, another letter from the Executive Council member came in front, Kushabhau Thackeray University of Journalism and Mass Communication Raipur, University appointed journalists as members of the Executive Council, Vice Chancellor Prof. Baldev Bhai Sharma